लखनऊः राजनीति से जुड़े लोग अक्सर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सोच मुस्लिम विरोधी करार देते रहते हैं. वहीं इसके उलट एक तथ्य यह भी है कि संघ से जुड़े विद्या भारती द्वारा संचालित स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. बीते तीन सालों में इन स्कूलों में करीब 30 फीसदी मुस्लिम छात्रों की बढ़ोतरी हुई है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश के इन स्कूलों में लगभग 12,000 मुस्लिम और ईसाई छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इसके अलावा विद्या भारती में शिक्षकों के रूप में भी मुसलमानों की भर्ती हो रही है.


विद्या भारती के इन स्कूलों में मुस्लिम छात्र भी श्लोकों और मंत्रों का पाठ करते हैं. इतना ही नहीं, ये छात्र पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अपना भविष्य बना रहे हैं. हाल ही में प्रयागराज स्थित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के छात्र मोहम्मद अफसर और मोहम्मद सुहबान ने गुवाहाटी में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हैमर थ्रो प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता है. विद्या भारती के अतिरिक्त सचिव (पूर्वी उत्तर प्रदेश) चिंतामणि सिंह का कहना है कि हम अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं. यह मुस्लिम छात्रों की संख्या में वृद्धि का प्रमुख कारण रहा है.


चिंतामणि सिंह के अनुसार साल 2016 में 49 जिलों वाले पूर्वी यूपी में विद्या भारती के स्कूलों में मुस्लिम छात्रों की संख्या 6,890 थी. वहीं साल 2019 में यह संख्या बढ़कर 9,037 हो गई है.


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चिंतामणि सिंह ने बताया कि प्रदेश में विद्या भारती स्कूलों में लगभग छह लाख छात्र पढ़ते हैं. जिनमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर और सरस्वती विद्या मंदिर में पढ़ने वाले कई मुस्लिम लड़के और लड़कियां खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों और ऐकेडमिक्स में अपने स्कूल का नाम रोशन कर चुके हैं. वहीं मुस्लिम छात्रों के परिजन मानते हैं कि सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षा की गुणवत्ता देखने के बाद वहां अपने बच्चों को भेजने का फैसला किया. बता दें कि इससे पहले मिथक था कि ये स्कूल केवल हिंदुओं के लिए हैं और यहाँ अल्पसंख्यकों का ऐडमिशन नहीं करते हैं.


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