नई दिल्ली: यूपी चुनाव से पहले आरएसएस का बड़ा बयान आया है. आरएसएस के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने कहा है कि आरक्षण खत्म होना चाहिए. बिहार चुनाव से पहले मोहन भागवत ने ऐसा ही बयान दिया था जो मुद्दा बना था. इसके बाद खुद प्रधानमंत्री मोदी को सामने आकर कहना पड़ा था कि आरक्षण कोई हाथ भी नहीं लगाएगा.


जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान एक सवाल के जवान में मनमोहन वैद्य ने कहा, "आरक्षण के नाम पर सैकड़ों साल तक लोगों को अलग करके रखा गया, जिसे खत्म करने की जिम्मेदारी हमारी है. इन्हें साथ लाने के लिए आरक्षण को खत्म करना होगा.आरक्षण देने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलता है. आरक्षण के बजाय अवसर को बढ़ावा देना चाहिए.''


मनमोहन वैद्य ने कहा, "किसी भी राष्ट्र में भेदभाव को समाप्त करना चाहिए. सबको समान अवसर मिलना चाहिए. इसकी जांच होनी चाहिए. एक निश्चित टाइम बॉन्ड में इस पर फैसला होना चाहिए.''


बयान पर दी सफाई
मनमोहन वैद्य ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा, ''मैंने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था. मैंने कहा था जब तक समाज में भेदभाव है, तब तक आरक्षण रहेगा. धर्म के आधार पर आरक्षण से अलगाववाद बढ़ता है. संघ आरक्षण दलितों और पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण के पक्ष में है.''

विपक्ष ने साधा निशाना
ममोहन वैद्य के बयान के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो गया. बयान के कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जेडीयू, समाजवादी पार्टी, आरजेडी और बीएसपी सबने मोर्चा खोल दिया. लालू यादव ने कहा, ''आरक्षण हक है खैरात नहीं है. मोदी जी आपके RSS प्रवक्ता आरक्षण पर फिर अंट-शंट बक रहे है.''

क्यों अहम है मनमोहन वैद्य का बयान
चुनावी माहौल में ये बयान इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि यूपी में 21 फीसदी दलित 40 फीसदी ओबीसी पंजाब में 30 फीसदी दलित वोट है. आपको बता दें कि यूपी के दलितों में गैर जाटव दस फीसदी वोटबैंक पर बीजेपी की पकड़ मानी जाती जबकि चालीस फीसदी ओबीसी में से इस वक्त गैर यादव ओबीसी को बीजेपी का वोटबैंक माना जा रहा है. लेकिन RSS के आरक्षण विरोधी बयान से बीजेपी को अब दोबारा अपनी रणनीति बनानी पड़ सकती है.