गोरखपुरः हम सभी बचपन से ही किताबों में ये पढ़ते चले आ रहे हैं कि ‘हिन्‍दी’ हमारी राष्‍ट्र भाषा है. वहीं ‘कमल’ राष्‍ट्रीय फूल और राष्‍ट्रीय खेल ‘हॉकी’. देश के कई बड़े प्रकाशकों की किताबों में भी इस बात का जिक्र मिलता है. लेकिन, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आजादी के 71 साल बाद भी ‘हिन्‍दी’ न तो हमारी राष्‍ट्रभाषा है. न ‘कमल’ राष्‍ट्रीय फूल और न ही ‘हॉकी’ हमारा राष्‍ट्रीय खेल. आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है.

सपा नेता और ओबीसी आर्मी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष आरटीआई एक्टिविस्‍ट काली शंकर की ओर से दाखिल की गई आरटीआई से इस बात की जानकारी मिली है. संबंधित मंत्रालय और विभाग द्वारा बाकायदा पत्र भेजकर इस बात की जानकारी दी गई है. काली शंकर द्वारा दाखिल की गई आर.टी.आई. DPOOL/R/2019/80005 के तहत भारत सरकार के गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा ये जानकारी भेजी गई है. भेजे गए पत्र में जवाब दिया गया है कि भारत की राष्ट्रीय भाषा ‘हिन्‍दी’ नहीं है. भारत की कोई भी भाषा राष्ट्रीय भाषा नहीं है, संविधान में इसका कोई उल्लेख नहीं है. हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं, बल्कि राजभाषा यानी संविधान की आठवीं अनुसूची में हिन्‍दी भाषा को 22 अन्‍य भाषाओं के साथ जगह देते हुए उसे आधिकारिक भाषा माना गया है.

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काली शंकर ने मांग करते हुए कहा कि हिन्‍दी को राष्‍ट्रभाषा का दर्जा मिलना चाहिए. इसके लिए संविधान संशोधन भी करना पड़े, तो पीछे नहीं हटना चाहिए. उनका कहना है कि वे इसके लिए एक जनहित याचिका दर्ज करने के साथ वृहद हस्‍ताक्षर अभियान भी चलाने वाले हैं. उन्‍होंने राम प्रसाद बिस्मिल की कविता "हिन्‍दी केवल हमारी भाषा ही नहीं, बल्कि मां है. हिन्‍दी हमारी भाषा का वो धागा है, जिसने हमें और आपको एक सूत्र में बांधे रखा है." का उल्‍लेख करते हुए केन्‍द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिन्‍दी को राष्‍ट्रभाषा का दर्जा दिए जाने की मांग की है. उन्‍होंने कहा कि भारत ही दुनिया का ऐसा इकलौता देश है जहां संविधान में कोई राष्ट्रभाषा नहीं है.

उन्‍होंने हैरानी जताते हुए कहा कि हम किताबों में पढ़ते चले आ रहे हैं कि कमल हमारा राष्‍ट्रीय फूल है. लेकिन, जब उन्‍होंने भारत सरकार के बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण) को आरटीआई के माध्‍यम से राष्‍ट्रीय फूल के बारे में जानकारी मांगी गई, तो जवाब में बताया गया कि उनके पास इस तरह की कोई जानकारी नहीं है कि हमारे देश का कोई राष्‍ट्रीय फूल है.

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कालीशंकर ने कहा कि हम भले ही हॉकी को राष्ट्रीय खेल मानते हैं. लेकिन, देश को आठ ओलंपिक स्वर्ण और एक विश्व कप दिलाने वाले इस खेल को भारत के राष्ट्रीय खेल का दर्जा हासिल नहीं है. उनके द्वारा दाखिल की गई आरटीआई के जवाब में खेल मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि हॉकी हमारा राष्‍ट्रीय खेल नहीं है. इसके बावजूद सरकार के वेब पोर्टल (www.india.gov.in) पर राष्ट्रीय खेल शीर्षक के तहत हॉकी को राष्‍ट्रीय खेल बताते हुए उसकी उपलब्धियों का विवरण प्रस्‍तुत किया गया है.

आरटीआई के जवाब में भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने बताया कि हॉकी को राष्ट्रीय खेल का आधिकारिक दर्जा नहीं मिला है. कालीशंकार ने कहा कि वे कुश्ती को राष्ट्रीय खेल घोषित करने की मांग करते हैं. क्योंकि इस खेल ने पिछले तीन ओलंपिक में देश को पदक दिलाए हैं. 2008, 2012 और 2016 में इस खेल से देश को पदक मिला है. जो खेल देश के लिए पदक जीतता है, उसे राष्ट्रीय खेल घोषित करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए और कुश्ती ऐसा खेल है, जो भारत के गांव-गांव में खेला जाता है.