गोरखपुर के बेलीपार इलाके के गोरखपुर-वाराणसी राजमार्ग पर गुरुवार की सुबह सेवई यूनियन बैंक के पास सरकारी रोडवेज की बस ने बाइक सवार 18 वर्षीय आर्यन नाम के युवक को टक्कर मार दी. उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया. युवक के सिर में गंभीर चोट लगी थी.
परिजनों का आरोप है कि गंभीर चोट के कारण युवक अचेतावस्था यानी कोमा में चला गया था. इमरजेंसी के डॉक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया. उसे बिना पट्टी बांधे मर्चरी भेजवा दिया गया. कुछ देर बाद वहां मौजूद लोगों ने जब खून का रिसाव और हाथों में कंपन देखा, तो वो हंगामा करने लगे.
हंगामा देखकर अस्पताल के कर्मचारी और डॉक्टर आनन-फानन में उसे फिर से मोर्चरी से बाहर निकाला. इसके बाद उसे इमरजेंसी ले गए और उसका इलाज शुरू कर दिया. मृतक आर्यन (18 वर्ष) की माँ ने आरोप लगाया कि जिला चिकित्सालय के डाक्टरों की लापरवाही के कारण उसके बेटे की जान गई है.
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उन्होंने बताया कि उसके बेटे की सांस चल रही थी. उसके बावजूद उसे मोर्चरी से डाक्टरों ने निकालकर इलाज नहीं किया. समय रहते उसका इलाज हो गया होता, तो उसकी जान बच जाती. उसका आरोप है कि तीन से चार घंटे तक उसकी मोर्चरी में सांस चलती रही और वो उसे बाहर निकालकर इलाज करने की गुहार लगाती रही. लेकिन, उसकी किसी ने एक नहीं सुनी.
वही जिला अस्पताल के एसआईसी राज कुमार गुप्ता ने इस बात को एक सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है. सुबह जिन डाक्टरों ने युवक को देखा था, उन्होंने ही उसे मृत घोषित किया था. जब परिजनों ने हंगामा शुरू किया, उसके बाद जिला अस्पताल के कर्मचारी युवक को मर्चरी हाउस से लेकर इमरजेंसी गए. दूसरे डॉक्टर ने जिनका इमरजेंसी में दूसरा शिफ्ट था, उन्होंने भी जब चेक किया, तो उन्होंने बताया यह मर चुका है और उसमें कोई भी जान बाकी नहीं है.
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