गयाः पूर्वजों और पुरखों की मोक्ष प्राप्ति की स्थली के रूप में प्रसिद्ध शहर गया में अब विदेश लोग भी पिंडदान करने पहुंच रहे हैं. विदेशी अपने पुरखों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान करने प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर के समीप देवघाट पहुंचे. रूस से आई छह महिलाओं ने बुधवार को धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अपने पितरों के मोक्ष के लिए पूरे सनातन धर्म के विधि विधान के साथ कर्मकांड किया. ये महिलाएं अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की.


रूस से आईं महिला तीर्थयात्रियों ने अंत:सलिला फल्गु नदी में पिंड प्रवाहित किया और तर्पण कर पितरों को मोक्ष मिलने की कामना की. धर्म प्रचारक लोकनाथ गौर ने सनातन धर्म के अनुसार, रूसी महिलाओं से पिंडदान कराया.


गौर ने कहा, "पिंडदान करने आईं महिलाएं रूस के अलग-अलग क्षेत्रों में रहती हैं. इनमें एलेना कशिटसाइना, यूलिया वेरेमिनको, इरेस्को मगरिटा, औक्सना कलिमेनको, इलोनोरा खतिरोबा और इरिना खुचमिस्तोबा शामिल हैं."


उन्होंने बताया कि इन सभी को विश्वास है कि कर्मकांड करने से इनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी. सभी रूसी महिलाओं ने साड़ी पहनकर भारतीय वेशभूषा में कर्मकांड किया.


एलेना कशिटसाइना ने कहा, "भारत धर्म और अध्यात्म की धरती है. गया आकर मुझे आंतरिक शांति की अनुभूति हो रही है. मैं यहां अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आई हूं."


पिछले साल रूस, स्पेन, जर्मनी, चीन, कजाकिस्तान से आए 27 विदेशी पर्यटकों ने भी अपने-अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण किया था.


लोकनाथ गौर कहते हैं कि हर साल पितृपक्ष के मौके पर विदेशी पर्यटकों का जत्था अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए पहुंचता है. उन्होंने कहा कि यह जत्था एक-दो दिन बिहार के पर्यटक स्थलों को देखने के बाद स्वदेश लौट जाएगा.


सनातन धर्म में विश्वास करने वाले आश्विन महीने के कृष्णपक्ष (पितृपक्ष) में अपने पुरखों की आत्मा की शांति और उनके उद्धार (मोक्ष) के लिए लाखों लोग मोक्षस्थली गया में पिंडदान के लिए आते हैं. इस साल 28 सितंबर तक करीब आठ लाख श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने की उम्मीद है.


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