प्रयागराज: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दा लगातार गरमाता जा रहा है. शिवसेना और वीएचपी के बाद अब अखाड़ों के साधू-संतों ने भी अयोध्या कूच करने का एलान किया है. संतों के अखाड़ा कूच कार्यक्रम में बड़ी संख्या में नागा साधू भी शामिल होंगे. अखाड़ों के साधू संतों का अयोध्या मार्च कार्यक्रम चार और पांच दिसम्बर को होगा. हालांकि अखाड़ों ने यह साफ़ कर दिया है कि उनका मार्च कार्यक्रम अयोध्या प्रशासन की मंजूरी मिलने पर ही होगा. अगर प्रशासन मंजूरी नहीं देगा तो अखाड़े के पदाधिकारी व उनके कुछ प्रमुख संत अयोध्या में रहकर बैठक करेंगे और मंदिर निर्माण के लिए सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम करेंगे.
साधू-संतों के अयोध्या कूच का फैसला आज प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की आपातकालीन बैठक में हुआ. बैठक में यह साफ़ तौर पर कहा गया कि साधू संतों को अब सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं रह गया है. उनका मानना है कि देश की सबसे बड़ी अदालत जानबूझकर सुनवाई को लटका रही है. संतों का अयोध्या कूच का कार्यक्रम राम मंदिर निर्माण के लिए है. साधू संत वहां पहुंचकर रामलला स्थल के बाहर इकट्ठे होंगे और सरकार पर मंदिर निर्माण के लिए क़ानून बनाने या अध्यादेश लाए जाने का दबाव बनाएंगे.
अयोध्या प्रशासन से मंजूरी पाने के लिए अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरिगिरि और निर्वाणी अखाड़े के संत महंत धर्मदास की अगुवाई में संतों के एक प्रतिनिधिमंडल को अयोध्या भेज दिया गया है. अयोध्या मार्च की मंजूरी नहीं मिलने की सूरत में अखाड़ों के प्रतिनिधि चार और पांच दिसम्बर को अयोध्या में ही रूककर वहां मुस्लिम पक्षकारों से बातचीत कर आपसी सुलह के जरिये विवाद को सुलझाने की कोशिश करेंगे. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक़ अयोध्या मार्च के कार्यक्रम में एक लाख से ज़्यादा संत कूच करेंगे और इनमे बड़ी संख्या में नागा सन्यासी भी रहेंगे.