लखनऊ: साध्वी निरंजन ज्योति को ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने कल ही राज्यमंत्री पद की शपथ ली. साध्वी यूपी में पिछड़ा समाज का चेहरा मानी जाती हैं. वे मोदी सरकार-1 में खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री रह चुकी हैं. निरंजन ज्योति इस बार फतेहपुर लोकसभा सीट से मैदान में थीं. लगातार दूसरी बार साध्वी ने फतेहपुर सीट पर कब्जा किया है. सन्यासी जीवन के साथ राजनीति में प्रवेश करने वाली साध्वी निरंजन की छवि एक तेज तर्रार और बेबाक नेता की रही है.
साध्वी निरंजन ज्योति हमीरपुर जनपद की पातेवरा की रहने वाली हैं. चौदह साल की उम्र में वो साध्वी बन गई थीं. उन्होंने स्वामी अच्युतानंद से संन्यास दीक्षा ली थी. वर्ष 1987 में वो विश्व हिंदू परिषद के संपर्क आईं और उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.
साध्वी निरंजन ज्योति का राजनीतिक सफर
1990 में निरंजन ज्योति ने भाजपा की सदस्यता ली और हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ीं लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2003 में वो भाजपा की प्रदेश कार्यकारणी की विशेष आमंत्रित सदस्य बनाई गईं.
2007 में उन्होंने फिर हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. 2008 में फिर एक बार भाजपा की प्रदेश कार्यकारणी की विशेष आमंत्रित सदस्य बनीं. 2012 में उन्हें हमीरपुर से विधायक चुना गया और फिर 2014 में फतेहपुर से चुनाव जीतकर वो संसद पहुंची.
उन्हें खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री बनाया गया. इतना ही नहीं इस बार कुंभ में उन्हें निरंजनी अखाड़ा की महामंडेश्वर की उपाधि से भी नवाजा गया है. 2014 में साध्वी निरंजन ज्योति बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बेहद चर्चित नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेटे अफजल सिद्दीकी को हराकर यहां की सांसद बनी थीं.
अफजल बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर इस सीट में फतेह हासिल करने वाले राकेश सचान तीसरे नंपर पर रहे थे.