लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण के मतदान में अब सिर्फ कुछ ही दिनों का समय बचा है.  इससे पहले कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन के बावजूद अमेठी और रायबरेली की सीटों को लेकर खींचतान चल रही है.


कांग्रेस अमेठी और रायबरेली की 10 सीटें छोड़ने के ‘मूड’ में नहीं


पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल के संसदीय क्षेत्र होने के नाते कांग्रेस दोनों ही जगहों की दस सीटें छोड़ने के ‘मूड’ में नहीं है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन के तहत 403 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.


असमंजस में हैं कांग्रेसी नेता 


कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने गठबंधन होने से पहले पांच प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिये थे लेकिन अब तक कोई नाम वापस नहीं लिया गया है. इसे लेकर कांग्रेस नेता विशेषकर स्थानीय नेता असमंजस में हैं.


कांग्रेस को छह और समाजवादी पार्टी को चार सीटें


दोनों ही पक्षों के बीच इस बात पर सहमति बनती दिख रही है कि कांग्रेस को छह और समाजवादी पार्टी को चार सीटें मिलेंगी. स्थानीय नेता और कार्यकर्ता अमेठी या गौरीगंज में से कोई भी सीट देने को तैयार नहीं हैं जबकि समाजवादी पार्टी यहां से पहले ही प्रत्याशी घोषित कर चुकी है.


उम्मीदवार के जीतने की संभावना का आंकलन


रायबरेली की सरैनी सीट का उदाहरण देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि स्थिति और उम्मीदवार के जीतने की संभावना का आंकलन किये बगैर उम्मीदवार उतारने का मतलब बहुजन समाज पार्टी की मदद करना होगा. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने सरैनी से वर्तमान विधायक को टिकट दिया है लेकिन साल 2012 से अब तक हालात काफी बदल गये हैं और अब विधायक के समर्थक भी उनके खिलाफ हैं.


मजबूत और कमजोर पहलुओं का आंकलन


कांग्रेस नेता ने आशंका जतायी कि यदि उम्मीदवार बदला नहीं गया तो इससे यह सीट बीएसपी को जा सकती है. उन्होंने कहा कि गठजोड के दोनों साझेदारों को हर सीट पर एक दूसरे के मजबूत और कमजोर पहलुओं का आंकलन करना चाहिए.