लखनऊ: समाजवादी पार्टी के दंगल में बेटे की जीत हो गई और पिता मुलायम हार गए. कई महीनों से चल रही समाजवादी पार्टी के अंदर वर्चस्व की लड़ाई में अखिलेश विजयी हो गए.


चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी और चुनाव चिन्ह साइकिल दोनों अखिलेश को दे दी है. अब सवाल ये कि आखिर अखिलेश को ही साइकिल क्यों मिली,  मुलायम को क्यों नहीं ?


बड़ी जानकारी ये है कि साइकिल के निशान के लिए मुलायम ने अपनी ओर से चुनाव आयोग में हलफनामा दिया ही नहीं था.  साफ है साइकिल के लिए मुलायम चुनाव आयोग में अधूरी लड़ाई लड़ाई लड़ रहे थे जबकि अखिलेश ने समर्थन में 228 में 205 विधायकों, 68 में 56 विधान पार्षदों, 24 में से 15 सांसदों और 46 में से 28 राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्यों ने हलफनामा दिया जिससे पार्टी पर अखिलेश का दबदबा चुनाव आयोग में साबित हुआ.


क्यों हुआ था परिवार में झगड़ा ?


टिकट बांटने के अधिकार को लेकर समाजवादी पार्टी में झगड़ा शुरू हुआ था. मुलायम और अखिलेश ने अलग-अलग टिकट बांटने शुरू कर दिए थे. 30 दिसंबर को मुलायम ने अखिलेश को पार्टी से निकाल दिया था.


अधिवेशन बुलाने के बाद शुरू हुई थी असली जंग


जिसके बाद एक जनवरी को रामगोपाल यादव ने लखनऊ में पार्टी का अधिवेशन बुलाया और यहीं अखिलेश को पार्टी अध्यक्ष चुन लिया गया और मुलायम को संरक्षक बना दिया गया. इसके बाद दोनों ने अलग-अलग पार्टी की मीटिंग बुलाई थी.


अखिलेश की बैठक में 207 विधायक पहुंचे थे, जबकि मुलायम के यहां सिर्फ 17 विधायक पहुंचे. इसके बाद अखिलेश गुट ने पार्टी पर अपना दावा ठोका और दोनों चुनाव आयोग पहुंचे थे और अब चुनाव आयोग ने अखिलेश को साइकिल थमा दी है.


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