नेताजी सिर्फ 3 महीने के लिए सभी अधिकार हमें दे दें, बाद में सब आपका: अखिलेश यादव
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के दोनों गुटों में ‘साइकिल’ पर कब्जे को लेकर जारी शक्ति प्रदर्शन की होड़ के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को कहा कि एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव उन्हें बस तीन महीने के लिये पार्टी में सारे अधिकार दे दें और वह चुनाव जीतने के बाद उन्हें सारे हक लौटा देंगे.
200 से ज्यादा विधायकों ने किया अखिलेश के पक्ष में हस्ताक्षर
एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव चुनाव आयोग के सामने अपना अपना दावा मजबूत करने के लिये समर्थकों द्वारा हस्ताक्षरित हलफनामे एकत्र करने में जुट गये हैं. एसपी में शामिल हुए कौमी एकता दल के विधायक सिबगतउल्ला अंसारी समेत 200 से ज्यादा विधायकों ने अखिलेश के पक्ष में हलफनामों पर हस्ताक्षर किये हैं.
बैठक में शामिल कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने बताया, ‘‘मुख्यमंत्री ने हमसे कहा कि मुलायम सिंह यादव जी मेरे पिता हैं. हमने उनसे कहा है कि तीन महीने के लिये हमें पूरे अधिकार मिल जाएं और हमारे फिर से सत्ता में आने के बाद आप (मुलायम) जो निर्णय चाहें, वह कर लीजिये.’’
हर हाल में समाजवादी पार्टी के मुखिया को ही पहुंचेगी तकलीफ
सिबगतउल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री के आदेश पर वह उनके आवास गये थे और शपथपत्र पर हस्ताक्षर किये. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने मुलायम के पक्ष में भी हलफनामे पर दस्तखत किये थे, सिबगतउल्ला ने कहा ‘‘नेताजी ने हमें तो नहीं बुलाया.’’ इस बीच, कौमी एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अफजाल अंसारी ने कहा कि वह एसपी में जारी खींचतान से बहुत दुखी हैं और चाहे जो पक्ष जीते, लेकिन हर हाल में तकलीफ एसपी मुखिया को ही पहुंचेगी.
इस बीच एक बार फिर मुलायम अपने अनुज शिवपाल सिंह यादव के साथ चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखने के लिये आज दिल्ली रवाना हुए. मुलायम और शिवपाल के दिल्ली रवाना होने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास पर अपने समर्थक विधायकों तथा अन्य नेताओं से मुलाकात की और उनसे पार्टी के चुनाव चिहन साइकिल पर दावा करने के लिये जरूरी शपथपत्रों पर हस्ताक्षर कराये. सरकार के एक अन्य मंत्री शंखलाल मांझी ने कहा कि नेताजी (मुलायम) के बिना एसपी अधूरी है. मुख्यमंत्री एसपी का चेहरा हैं. चेहरे के बगैर एसपी सरकार के बारे में सोचना बेकार है.
किसके पास, कितना संख्याबल ?
चुनाव आयोग ने एसपी के दोनों गुटों द्वारा ‘साइकिल’ पर दावे के सिलसिले में दाखिल किये गये दस्तावेजों पर अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है. आयोग ने दोनों गुटों से आगामी नौ जनवरी तक अपने-अपने समर्थक विधायकों, विधान परिषद सदस्यों तथा सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित शपथपत्र जमा करने को कहा है, ताकि यह पता लग सके कि किसके पास कितना संख्याबल है.
मुलायम गुट के सूत्रों के मुताबिक एसपी मुखिया और शिवपाल आज अपने साथ विधायकों, विधान परिषद सदस्यों तथा सांसदों के हस्ताक्षरित शपथपत्र ले गये हैं. पिछले रविवार को हुए एसपी के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में एसपी के 229 में से 200 से ज्यादा विधायक, बड़ी संख्या में विधान परिषद सदस्य तथा अन्य पार्टी नेता एवं पदाधिकारी शामिल थे. इस अधिवेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश को एसपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था, जबकि अमर सिंह को पार्टी से निष्कासित करने तथा शिवपाल सिंह यादव को एसपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला किया गया था.
अखिलेश के साथ हैं ज्यादातर MLA, MLC और MP
अखिलेश के हिमायती माने जाने वाले एसपी राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने दावा किया कि ज्यादातर विधायक, विधान परिषद सदस्य तथा सांसद अखिलेश के साथ हैं. आपसी गतिरोध के बीच, वरिष्ठ नेता आजम खान की कोशिशों से एसपी के दोनों गुटों में दो दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन वह बेनतीजा रही.
इस सबके बीच, मुख्यमंत्री अखिलेश ने पीछे ना हटने का साफ इशारा देते हुए कल एक कार्यक्रम में कहा था, ‘‘हम चुनाव में जा रहे हैं. हम फिर लौटेंगे. कहां नट-बोल्ट लगाना है, कहां हथौड़ा इस्तेमाल करना है, उसे ठीक से इस्तेमाल करेंगे.’’ सूत्रों के मुताबिक दोनों ही गुट अपनी-अपनी मांगों को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहते. विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाने के बावजूद कोई भी गुट नरमी नहीं दिखा रहा है.
बर्खास्त एसपी जिलाध्यक्षों को कर दिया गया ‘बहाल’
दरअसल, अपने पिता की राह से जुदा रास्ते पर चल पड़े अखिलेश एसपी संगठन पर अपना वर्चस्व लगातार बढ़ाते दिख रहे हैं. उनके निर्देश पर कल आजमगढ़, देवरिया, कुशीनगर और मिर्जापुर के बर्खास्त एसपी जिलाध्यक्षों को ‘बहाल’ कर दिया गया.
गत रविवार को हुए अधिवेशन में प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये गये शिवपाल यादव ने एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा ‘असंवैधनिक’ करार दिये गये उस कार्यक्रम में शिरकत करने के आरोप में इन जिलाध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया था.