नई दिल्ली: यूपी में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी अब औपचारिक तौर पर टूट की कगार पर पहुंच गई लगती है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खेमे ने भी आज चुनाव आयोग का रूख कर कहा कि अब ‘‘वास्तविक तौर पर’’ पार्टी की अध्यक्षता इसके संस्थापक मुलायम सिंह यादव नहीं बल्कि अखिलेश कर रहे हैं. सोमवार को मुलायम ने आयोग का रूख कर ‘साइकिल’ चुनाव चिन्ह पर दावेदारी जताई थी.
कौन करेगा 'साइकिल' की सवारी ?
चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक सोमवार को मुलायम सिंह यादव ने आयोग को लिखित रुप से अप्लिकेशन दिया था जबकि मंगलवार देर शाम अखिलेश खेमे की तरफ से प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने डॉक्यूमेंट के साथ लिखित अप्लिकेशन का तीन सेट चुनाव आयोग को दिया. अब आयोग नियमों के मुताबिक डॉक्यूमेंट्स की जांच करके फैसला सुनाएगा कि मुलायम-अखिलेश में से कौन करेगा 'साइकिल' की सवारी ?
मुलायम से मिलने पहुंचे अखिलेश
आयोग में अपने खेमे की ओर से ‘साइकिल’ पर दावेदारी जताने के कुछ ही घंटों बाद अखिलेश अपने पिता मुलायम के लखनऊ स्थित आवास पर गए और उनके साथ करीब दो घंटे तक रहे, जिससे ऐसी अटकलें लगनी शुरू हो गईं कि शायद सुलह की कोशिश हो रही है. हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री खेमे ने सुलह की संभावनाओं पर कहा कि इसमें ‘‘बहुत देर’’ हो चुकी है.
अखिलेश से मतभेदों के लिए चर्चा में रहे मुलायम के भाई शिवपाल यादव भी दिल्ली से वापसी के बाद दोनों नेताओं की बैठक में शामिल हुए. मुख्यमंत्री के वफादार समझे जाने वाले नेताओं (राम गोपाल यादव, नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा) ने आज सुबह आयोग के शीर्ष पदाधिकारियों से मुलाकात की और एसपी एवं इसके चुनाव चिन्ह पर दावेदारी जताई.
रामगोपाल ने चुनाव आयोग बताया, अखिलेश के साथ 90% विधायक
चुनाव आयोग के समक्ष अखिलेश की नुमाइंदगी करने वाले तीनों नेताओं को मुलायम ने एसपी से बाहर कर दिया है. आयोग के साथ बैठक के बाद राम गोपाल ने पत्रकारों को बताया, ‘‘असल समाजवादी पार्टी हम हैं क्योंकि 90 फीसदी लोग हमारे साथ हैं.’’ राम गोपाल मुलायम के चचेरे भाई हैं और इस पूरे विवाद में वह अखिलेश के साथ हैं. उनसे पूछा गया था कि उन्होंने पार्टी और चुनाव चिह्न के बारे में आयोग को क्या बताया.
प्रतिद्वंद्वी खेमों की ओर से पार्टी और इसके चुनाव चिन्ह पर दावेदारी जताए जाने के साथ ही गेंद आयोग के पाले में चली गई है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का ऐलान किसी भी वक्त किया जा सकता है, ऐसे में आयोग के पास इस मसले पर फैसला करने के लिए काफी कम वक्त रह गया है.
‘साइकिल’ के इस्तेमाल पर रोक लगा सकता है चुनाव आयोग
अंतरिम उपाय के तौर पर आयोग ‘साइकिल’ चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल पर रोक लगा सकता है और दोनों धड़ों से कह सकता है कि वे किसी नए चिह्न पर चुनाव लड़ें. आयोग दोनों खेमों को चुनाव लड़ने के लिए तब तक कोई नया नाम दे सकता है जब तक एसपी और इसके चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ के ‘स्वामित्व’ पर अंतिम फैसला न हो जाए.
सोमवार दोपहर से ही दिल्ली में मौजूद रहे मुलायम अब लखनऊ पहुंच चुके हैं जबकि उनके करीबी मंत्री मोहम्मद आजम खान भी यहां पहुंचे हैं. आजम ने कहा कि वह सुलह कराने की हरसंभव कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘कुछ भी मुमकिन है. किसने सोचा था कि उनका निष्कासन वापस ले लिया जाएगा ?’’
मुलायम के करीबी सहयोगी अमर सिंह के कटु आलोचक आजम को एसपी के मुस्लिम चेहरे के तौर पर देखा जाता है और मौजूदा विवाद के दौरान उन्होंने सार्वजनिक तौर पर खुद को तटस्थ दिखाया है. लखनऊ में मुलायम के साथ अखिलेश की बैठक, जिसमें शिवपाल भी मौजूद थे, के बाद सुलह की कोशिशों की अटकलें थी.
किसी सुलह की गुंजाइश नहीं
बहरहाल, अखिलेश के करीबी और एसपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इसमें ‘‘बहुत देर हो चुकी है. किसी सुलह की गुंजाइश नहीं है. चुनाव आयोग फैसला करेगा कि एसपी की ‘साइकिल’ किसके पास रहेगी.’’ इससे पहले, दिन में अखिलेश ने कथित तौर पर मुलायम से फोन पर बात की. अखिलेश बीते रविवार को एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए थे.
इस मामले में फैसले से पहले चुनाव आयोग मुलायम और अखिलेश से एक-दूसरे के पक्ष पर जवाब देने को कहेगा. चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि इस प्रक्रिया में अंतिम आदेश आने में चार महीने तक का वक्त लग सकता है.
नसीम जैदी से मिले रामगोपाल, 'साइकिल' पर दावा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विश्वासपात्र रामगोपाल यादव ने मंगलवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी से मुलाकात कर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर दावा पेश किया. रामगोपाल यादव ने संवाददाताओं को बताया, "हमने निर्वाचन आयोग को बताया कि पार्टी के ज्यादातर सासंद, विधायक और एमएलसी अखिलेश के साथ हैं. इसलिए समाजवादी पार्टी की बागड़ोर उनके हाथ में होनी चाहिए और उन्हें ही पार्टी का चुनाव चिन्ह मिलना चाहिए."
निर्वाचन आयोग पहुंचने वालों में रामगोपाल यादव, के.पी. नंदा, नरेश अग्रवाल, अभिषेक मिश्रा व अक्षय यादव शामिल थे. उधर, समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने भी निर्वाचन आयोग से मिलकर 'साइकिल' पर दावा पेश किया.
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त बी.बी.टंडन ने बताया कि पार्टी के चुनाव चिन्ह को जब्त किया जा सकता है और दोनों खेमों से कोई नया चुनाव चिन्ह लेने को कहा जा सकता है.
'साइकिल' के लिए जंग, मुलायम पहुंचे निर्वाचन आयोग
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे व प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच चल रही रस्साकशी ने सोमवार को नाटकीय मोड़ ले लिया. पार्टी के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर अपना दावा जताने सोमवार को मुलायम सिंह निर्वाचन आयोग के दफ्तर पहुंचे. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी उनसे जुड़ी हुई है और उन्हें लोगों का भरपूर समर्थन प्राप्त है. उन्होंने यहां कहा, "समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर हमारा हक है."
अपने भाई शिवपाल यादव, राज्यसभा सांसद अमर सिंह तथा जया प्रदा के साथ मुलायम सिंह ने राष्ट्रीय राजधानी में मुख्य निर्वाचन आयुक्त से मुलाकात की. यह बैठक करीब 30 मिनट तक चली, जिस दौरान पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह ने चुनाव चिन्ह पर अपना दावा जताया.
''अभी भी पार्टी के अध्यक्ष हैं मुलायम''
ज्ञात सूत्रों का कहना है कि उन्होंने पार्टी के संविधान को जैदी के साथ चर्चा की और दावा किया कि वह अभी भी पार्टी के अध्यक्ष हैं. कहा गया है कि मुलायम सिंह ने तर्क दिया है कि अखिलेश समर्थकों द्वारा लखनऊ में बुलाए गए अधिवेशन ने पार्टी के कायदे-कानून को तोड़ा है और इसलिए बैठक में जो भी होता है, वह अमान्य है. उन्होंने पांच जनवरी को होने वाली समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन को स्थगित कर दिया है.
अखिलेश गुट की तरफ से मंगलवार को निर्वाचन आयुक्त से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचे रामगोपाल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह यादव सर्वोच्च न्यायालय नहीं हैं, जो रविवार के हुए फैसले को असंवैधानिक और गैर कानूनी करार दे दें. उन्होंने कहा, "मुझे भी संविधान के बारे में जानकारी है. विधि सम्मत तरीके से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है. वह (मुलायम सिंह) सुप्रीम कोर्ट के जज नहीं है. उन्होंने कहा कि सब जानते है कि अब कौन राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन है."
अगर जरूरत पड़ी, तो मैं खलनायक भी बन सकता हूं: अमर सिंह
अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह के विश्वस्त अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया है, लेकिन इस फैसले से अमर सिंह बेफिक्र दिखे और मुलायम सिंह के प्रति अपनी वफादारी जताई. उन्होंने कहा, "मैं मुलायम के साथ था और रहूंगा. उनका साथ मुझे नायक बनाता है और अगर जरूरत पड़ी, तो मैं खलनायक भी बन सकता हूं."
बाप-बेटे के बीच मचे घमासान के बीच पार्टी कार्यकर्ता यहां मुलायम सिंह के आवास के बाहर इकट्ठा हुए और उनके पक्ष में नारे लगाए तथा पार्टी में एकता की मांग की. समर्थकों ने हालांकि अखिलेश यादव या राम गोपाल यादव के विरोध में कोई नारा नहीं लगाया. उन्होंने मुलायम सिंह से चुनाव में अखिलेश यादव को पार्टी के चेहरे के रूप में पेश करने की मांग की.
अगर ऐसा हुआ, तो दोनों गुटों को ही लगेगा तगड़ा झटका
संवैधानिक विशेषज्ञों के मुताबिक, निर्वाचन आयोग पार्टी के चुनाव चिन्ह को जब्त कर सकता है और दोनों गुटों को चुनाव लड़ने के लिए अलग-अलग नया चुनाव चिन्ह जारी कर सकता है. अगर ऐसा हुआ, तो दोनों गुटों को ही झटका लगेगा, क्योंकि साइकिल एसपी का स्थापित चुनाव चिन्ह है.
एसपी में मचे घमासान के बीच रविवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गुट ने शिवपाल यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था. रामगोपाल यादव की ओर बुलाए पार्टी के आपात विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया था, जबकि मुलायम को पार्टी का सर्वोच्च नेता मानते हुए 'मार्गदर्शक' का दर्जा दिया गया. अधिवेशन में अमर सिंह को एसपी से निकालने का फैसला भी लिया गया.
मुलायम ने नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा को भी पार्टी से निकाला
इसके बाद कुछ ही घंटों के भीतर मुलायम सिंह ने पलटवार करते हुए राज्यसभा सदस्य रामगोपाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया. मुलायम ने इसके साथ ही अन्य राज्यसभा सदस्यों नरेश अग्रवाल और पार्टी के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा को भी पार्टी से निकाल दिया.