लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में छिड़ी वर्चस्व की जंग के चुनाव आयोग के समक्ष पहुंचने के बीच सुलह-समझौते की कोशिशें आज फिर शुरू हुईं, मगर वे फिलहाल बेनतीजा रहीं. पिछले रविवार को एसपी के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन से शुरू हुई आर-पार की जंग के बाद अखिलेश ने आज पहली बार अपने पिता मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की. इससे सुलह-समझौते की उम्मीद जगी. हालांकि बैठक में क्या बात हुई, इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं है लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में बात नहीं बन सकी.


चुनाव आयोग के सामने अपने-अपने दावे पेश कर चुके हैं दोनों गुट


अखिलेश के करीबी माने जाने वाले एक नेता ने बताया कि अब बहुत देर हो चुकी है. अब किसी भी समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है. अब चुनाव आयोग ही तय करेगा कि एसपी की साइकिल किसकी होगी. अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के बाद पार्टी के चुनाव निशान और झण्डे पर कब्जे के लिये मुलायम और अखिलेश के खेमे चुनाव आयोग के सामने अपने-अपने दावे पेश कर चुके हैं. ऐसे में माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव की किसी भी समय घोषणा होने की सम्भावना और चुनाव आयोग में सुनवाई की लम्बी प्रक्रिया से नुकसान के अंदेशे के मद्देनजर दोनों पक्ष मिल बैठकर मामला सुलझाना चाहते हैं.


दोनों के बीच करीब दो घंटे तक हुई बातचीत


मुलायम के नयी दिल्ली से लखनऊ आने पर अखिलेश उनसे मुलाकात करने पहुंचे. इस दौरान दोनों के बीच करीब दो घंटे तक बातचीत हुई. बाद में अखिलेश के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव भी पहुंचे और तीनों के बीच बात हुई. कुछ देर बाद अखिलेश मुलायम के घर से अपने आवास चले गये. सूत्रों के मुताबिक इसके पूर्व, अखिलेश ने मुलायम से फोन पर बात करके आपसी मसले सुलझाने के लिये बैठक की बात कही थी.


दोनों पक्षों के बीच सुलह-समझौता कराने की हर मुमकिन कोशिश


पिछले शनिवार को मुख्यमंत्री अखिलेश और उनके हिमायती चाचा रामगोपाल यादव का एसपी से निष्कासन समाप्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ एसपी नेता आजम खां ने कहा कि वह दोनों पक्षों के बीच सुलह-समझौता कराने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे. उन्होंने सब कुछ ठीक होने की उम्मीद जाहिर करते हुए कहा ‘‘कुछ भी हो सकता है. क्या किसी ने सोचा था कि अखिलेश और रामगोपाल जी का निष्कासन एक दिन बाद ही वापस हो जाएगा.’’


इसका मतलब यह नहीं है कि सारे दरवाजे बंद


मुलायम के करीबी नेता अमर सिंह के मुखर विरोधी आजम खान पूरे घटनाक्रम के दौरान तटस्थ रख में दिख रहे हैं और वह दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की लागातार कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश का विधानसभा चुनाव नजदीक आ गया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सारे दरवाजे बंद हो गये हों.


यह पूछे जाने पर कि एसपी में जारी संघर्ष का मुस्लिम मतदाताओं पर कोई असर पड़ेगा, खां ने कहा कि मुसलमान कभी नहीं चाहेंगे कि एसपी की सरकार जाए. वे बीजेपी को सत्ता में रोकने के लिये एकजुट होकर काम करेंगे.