नई दिल्ली: यूपी में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी में जारी घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. मुलायम और अखिलेश के बीच जारी 'साइकिल' की जंग अब चुनाव आयोग में पहुंच गई है. इसी क्रम में अखिलेश खेमे की तरफ से रामगोपाल यादव समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर अपना दावा ठोंकने शनिवार को चुनाव आयोग पहुंचे. इससे पहले शुक्रवार को एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर पार्टी के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर अपना दावा पेश किया था.


रामगोपाल यादव ने चुनाव आयोग को सौंपे डेढ़ लाख पन्नों के दस्तावेज


यूपी चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में जारी वर्चस्व की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. कल मुलायम सिंह यादव के बाद आज अखिलेश यादव का खेमा चुनाव आयोग में पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर अपना दावा पेश करने पहुंचा. खबरों के मुताबिक अखिलेश खेमे की तरफ से रामगोपाल यादव ने दो सौ पांच विधायक, 15 सांसद और 56 एमएलसी की लिस्ट के साथ डेढ़ लाख पन्नों के दस्तावेज चुनाव आयोग को सौंपे.


आपको बता दें कि इस दौरान रामगोपाल यादव ने आज 7 कार्टून में 4716 डेलिगेट्स के एफिडेविट चुनाव आयोग का सौंपे और आयोग को बताया कि असली समाजवादी पार्टी वही है जिसके अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं.


अखिलेश-मुलायम खेमों के बीच नहीं दिखते सुलह के आसार


समाजवादी पार्टी में चल रहा गतिरोध आज भी दूर होता नहीं दिखा. सुलह के ताजा प्रयासों के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पिता मुलायम सिंह यादव खेमों के बीच समझौते के आसार नहीं नजर आये. मुलायम अपने पांच, विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर रहे. उनसे छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव, वरिष्ठ एसपी नेता आजम खान और अंबिका चौधरी ने मुलाकात की. विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद और कुछ अन्य नेता भी मुलायम से मिले लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला.


मुलायम के आवास से बाहर निकल रहे अंबिका चौधरी बोले, ‘‘सब ठीक हो जाएगा. एसपी एक रहेगी.’’ एसपी कोषाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय सेठ अखिलेश से उनके आवास पर मिले. मकसद सुलह कराना था. चुनाव आयोग ने मुलायम और अखिलेश पक्ष को ‘साइकिल’ चुनाव निशान पर किए गए दावे के पक्ष में साक्ष्य पेश करने के लिए नौ जनवरी तक का समय दिया है.


‘इससे स्पष्ट हो गया है कि असली एसपी कौन सी है ?’


अखिलेश के चाचा रामगोपाल यादव ने दावा किया है कि उनके पास 229 में से 212 विधायकों, 68 विधान परिषद सदस्यों में से 56 और 24 सांसदों में से 15 के दस्तखत हैं. इसके अलावा 5,000 प्रतिनिधियों में से अधिकांश के दस्तखत हैं. ‘‘इससे स्पष्ट हो गया है कि असली एसपी कौन सी है.’’ इटावा में मुलायम के भाई अभयराम यादव ने शिवपाल की तारीफ की और परिवार एवं पार्टी के मौजूदा संकट का दोष अखिलेश पर मढा. सवालों के जवाब में उन्होंने मीडिया से कहा कि अखिलेश अडियलपन दिखा रहे हैं. शिवपाल अखिलेश को स्कूल ले जाते थे और उनकी देखभाल करते थे.


सुलह की कोशिश में ही शिवपाल ने कल अखिलेश से भेंट की थी. उम्मीद जगी कि कुछ सकारात्मक नतीजा आएगा. एक समय तो लगा कि समझौता हो गया है. मीडिया को संदेश मिला कि मुलायम आपात प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और कोई बडा ऐलान होगा लेकिन कुछ ही मिनट में बिना कोई वजह बताये प्रेस कांफ्रेंस रदद कर दी गयी. एसपी सांसद अमर सिंह ने कहा कि वह पिता पुत्र में समझौता चाहते हैं और वह मुख्यमंत्री की राह का रोडा नहीं हैं.


मौजूदा गतिरोध की वजह हालांकि अमर सिंह को ही माना जा रहा है. अमर सिंह के इस्तीफे की अटकलें भी चल रही हैं. एक संभावना ये भी है कि शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दें. पारिवारिक अंतर्कलह शुरू होने से पहले अखिलेश एसपी के प्रदेश अध्यक्ष थे.


अमर सिंह के आने से सुलह मुश्किल: नरेश अग्रवाल


समाजवादी पार्टी का संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों गुटों में सुलह की कोशिशों के बीच दोनों गुटों के नेताओं की आरे से तुबानी तरवारे चल रही हैं. अखिलेश खेमे के नेता नरेश अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि अगर अमर सिंह कल लखनऊ नहीं आते तो बात सुलझ जाती पर अब वो आ गए हैं तो सुलह मुश्किल है.


नरेश अग्रवाल ने कहा कि सुलह को लेकर दोनों गुट बात कर रहे हैं. लेकिन अमर सिंह के लखनऊ पहुंचने के साथ ही सुलह की संभावना लगभग खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि अमर सिंह अगर लखनऊ ना आते तो सुलह संभव थी, लेकिन अब सुलह होना मुश्किल लग रहा है. उन्होंने ट्विट कर के कहा कि अगर अमर सिंह नहीं आते लखनऊ में बात सुलझ जाती, लेकिन अब वह आ गए हैं तो सुलह मुश्किल है.