नई दिल्ली: सपा-आरएलडी का महागठबंधन तय होने के बाद दोनों दलों ने अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. आरएलडी ने लोकसभा की कैराना सीट से पूर्व सांसद तबस्सुम हसन को उम्मीदवार घोषित किया है तो वहीं इसके अलावा नूरपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए भी कैंडिडेट का नाम तय हो गया है.आपको बता दें कि ये फैसला अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की मुलाकात के बाद हुआ है. जिसमें साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे के फ़ार्मूले पर ये तय किया गया है.


तबस्सुम को टिकट देना चाहते थे अखिलेश


अखिलेश यादव हर हाल में तबस्सुम को ही टिकट देना चाहते थे. कांग्रेस चाहती थी वहां से जयंत चौधरी चुनाव लड़ें. जयंत भी मन ही मन ऐसा ही चाहते थे. लेकिन चुनौती मुस्लिम और जाट वोटरों को एकजुट करने की थी. आख़िरकार अखिलेश यादव ने इसका तोड़ भी निकाल लिया.


तबस्सुम पहले भी इस सीट से जीत दर्ज कर चुकी हैं


अब ये जाकर तय हुआ है कि तबस्सुम हसन आरएलडी की टिकट पर चुनाव लड़ेंगी. ऐसे में जाट समाज को मुस्लिम उम्मीदवार के लिए वोट करने में कोई हिचक नहीं होगी. अगर तबस्सुम समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़तीं तो शायद जाट उनके साथ नहीं रह पाते . आरएलडी से चुनाव लड़ने पर ये झंझट ख़त्म हो जाएगा. तबस्सुम हसन बीएसपी से कैराना से पहले भी सांसद रह चुकी हैं. उनके बेटे नाहिद हसन भी कैराना से एसपी के विधायक हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में तबस्सुम इसी सीट से जीत चुकी हैं. इसके अलावा नूरपुर सीट से एसपी, नइमुल हसन का नाम लगभग तय कर चुकी है.


2019 होगा टारेगट


कैराना लोकसभा उपचुनाव की जीत के मायने 2019 लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखे जाएंगे. कोई भी पार्टी यहां कोर-कसर छोडऩा नहीं चाहती. कैराना की सियासत में तीन प्रमुख घराने सत्ता का केंद्र माने जाते हैं. इनमें हुकुम सिंह, जिनके देहांत के कारण कैराना लोकसभा सीट खाली हुई है. इनके अलावा स्वर्गीय मुनव्वर हसन और सहारनपुर के काजी रशीद मसूद का परिवार प्रमुख है.