लखनऊ: बीएसपी सुप्रीमो मायावती के अकेले विधानसभा उपचुनाव लड़ने के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी ने कहा कि अभी उनके पास ऐसी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है. बीएसपी के इस रूख पर पूछे जाने पर सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, 'नहीं अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं है. अखिलेश यादव ही तय करेंगे कि क्या हुआ है और इसमें कितनी सच्चाई है. चूंकि कोई आधिकारिक रुख तो है नहीं, यह तो बाहर का सुना सुनाया मामला है. क्या बात हुई, क्या मामला है उसे समझना पड़ेगा. अखिलेश यादव आजमगढ़ में हैं, वह आ जायें फिर कुछ कहा जायेगा.'


उन्होंने कहा कि 'किसी के पास उनका (बीएसपी का) आधिकारिक बयान नहीं है इसलिये अभी इंतजार करना होगा.'


गठबंधन में दरार!


एसपी-बीएसपी गठबंधन की दीवारें अब दरकने लगी हैं. मायावती ने पार्टी की बैठक में गठबंधन के टूटने के संकेत दिए हैं. मायावती ने यूपी की सभी ग्यारह विधानसभा के उप-चुनाव लड़ने का एलान किया है. उन्होंने उप-चुनाव के लिए नेताओं को तैयार रहने को कहा है. अब सवाल ये है कि क्या वे अकेले लड़ेंगी? या फिर अखिलेश यादव के साथ मिल कर. पिछले दस सालों में बीएसपी ने कभी उप-चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन इस बार ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है.


मायावती ने पार्टी की बैठक में कहा कि गठबंधन से कोई फ़ायदा नहीं हुआ. यादव वोट नहीं मिले. अगर मिले होते तो फिर अखिलेश यादव के परिवार के लोग चुनाव नहीं हारते. समाजवादी पार्टी के लोगों ने कई जगहों पर गठबंधन के ख़िलाफ़ काम किया. मुसलमानों ने हमारा पूरा साथ दिया. मायावती ने आरोप लगाया कि कुछ सीटों पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने हमारे ख़िलाफ़ काम किया. ये न होता तो नतीजे कुछ और बेहतर होते.


इन सीटों पर होंगे उपचुनाव
रामपुर सदर, जलालपुर, बलहा (सुरक्षित), जैदपुर (सुरक्षित), मानिकपुर, गंगोह, प्रतापगढ़, गोविंद नगर, लखनऊ कैंट, टुंडला (सुरक्षित), इगलास, हमीरपुर.


बीजेपी ने साधा निशाना


बीएसपी प्रमुख मायावती द्वारा विधानसभा उपचुनाव अकेले लड़ने के निर्णय के बाद बीजेपी ने विपक्षी गठबंधन को लेकर कटाक्ष किया है. मायावती के फैसले के बाद प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने डॉ. दिनेश शर्मा ने सोमवार को तंज करते हुये कहा, 'चुनाव के पहले जो गठबंधन हुआ था हार के बाद आज वह अंतिम सांसें, अंतिम हिचकियां ले रहा है, एक तरह से वह वेंटीलेटर पर है, कभी भी, वेंटीलेटर पर जो हिचकियां है वह और बढ़ सकती है.'


शर्मा ने कहा कि जो जाति के नाम पर गठबंधन होते हैं, राजनीतिक गठजोड़ होते हैं, उनकी अल्पआयु होती है. एक निश्चित समय बीतने के बाद वह अपना अस्तित्व खो देते हैं. उत्तर प्रदेश में अवसरवादी गठबंधन हुआ था. उन्होंने सपा-बीएसपी गठबंधन पर कटाक्ष करते हुये कहा कि सारे प्रयोग उत्तरप्रदेश में फेल हुये हैं. जनता ने सबको साथ लेकर चलने की मोदी जी की प्रवृत्ति को स्वीकारा है और सारे अवसरवादी गठबंधन को नकार दिया.