राजस्थान में रेत माफिया बेलगाम, गधों के जरिए हो रही है अवैध ढुलाई
कोटा में बजरी माफिया गधों के जरिए अवैध रेत की तस्करी कर रहे हैं. वहीं जो इनको कार्रवाई करने से रोकता है ये माफिया उसके साथ मारपीट करते हैं. अवैध खनन और उसे ढोने का नजारा चंबल नदी के लगभग हर किनारे पर आम है.
कोटा: कहते हैं कि गधों पर किसी का बस नहीं है लेकिन कोटा मे गधों पर रेत माफियाओं का न केवल बस चलता है बल्कि ये गधे माफियाओं के इशारों पर अवैध तस्करी में भी लिप्त हैं. वहीं प्रशासन इसको लेकर अभी तक कोई कार्रवाई करते नजर नहीं आया है.
अब तक आपने ट्रोले, डंपर और ट्रैक्टरों के जरिए अवैध रेत की तस्करी की तस्वीरें देखी होंगी लेकिन अब अवैध रेत खनन की ढुलाई की अलग तस्वीर सामने आई हैं. रेत माफियाओं ने गधों के जरिए रेत परिवहन का नया तरीका निकाला है. रेत माफिया दिन रात नदियों से रेत का अवैध खनन कर इन गधों पर लाद कर इलाकों तक पहुंचा रहे हैं.
खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि अगर कोई उन्हें रोकने का प्रयास करता है तो ये माफिया मार पिटाई पर उतर जाते हैं. खनन माफियाओं द्वारा गधों की मदद लेकर रेत के अवैध खनन और उसे ढोने का नजारा चंबल नदी के लगभग हर किनारे पर आम है.
चंबल के कुछ इलाकों को घड़ियाल सेंचुरी के रूप में रिजर्व किया गया है, जिसे राष्ट्रीय घड़ियाल अभ्यारण क्षेत्र घोषित किया गया है. जहां पर सब कुछ प्रतिबंधित है लेकिन रेत माफिया इस प्रतिबंधित इलाके में भी चंबल के सीने को लगातार छलनी कर चांदी कूटने में लगे है और जिम्मेदार लोग खामोश हैं.
कोटा जिले के दिगौद थाना क्षेत्र में घड़ियाल अभ्यारण में आने वाले इलाके के गांव छीपडदा में लंबे समय से इस तरह से रेत का अवैध खनन जारी है. इस क्षेत्र में दिन रात लगातार बजरी का अवैध खनन होता है. पास में ही दीगोद थाना और वन विभाग चौकी होने के बाद भी यहां आकर कोई भी अधिकारी इन्हें नहीं रोकता. दिन और रात यहां पर इन गधों के जरिए रेत की ढुलाई जारी है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध खनन के चलते खनन माफिया आए दिन ग्रामीणों से झगड़ा करते रहते हैं. कई बार तो मारपीट की स्थिति भी पैदा हो जाती है. जिसकी शिकायत थाने में में की जाती है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती. पूरे प्रदेश में कोर्ट ने बजरी के खनन पर रोक लगा रखी है लेकिन प्रशासन की नाक के नीचे खनन माफिया खुलकर काम कर रहे हैं.
ट्रॉलियों ट्रैक्टरों के पकड़े जाने पर भारी पैनल्टी के साथ न्यायिक व्यवस्था से गुजरने की लंबी चौड़ी प्रक्रिया है लेकिन गधे पर न कोई पैनल्टी है और न ही गधों के जब्त हो जाने का डर. साथ ही न डीजल का खर्चा और न पकड़े जाने का खतरा यानी केवल मुनाफा ही मुनाफा.
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