कोरोना इफेक्ट: अयोध्या में इस साल नहीं लगेगा सावन झूला मेला, प्रशासन ने लगाई रोक
कोरोना काल में लोगों के स्वास्थ्य हित को ध्यान में रखते हुए धार्मिक आयोजनों को स्थगित किया जा रहा है. कांवड़ यात्रा और मथुरा में मुड़िया पूनों मेले के बाद अब अयोध्या के सावन झूला मेले को स्थगित कर दिया गया है.
अयोध्या: सावन के महीने में इस बार अयोध्या में न ही सावन झूला मेला लगेगा और न ही शहर में कांवड़ियों का प्रवेश हो पाएगा. इस बार अयोध्या के ऐतिहासिक मणि पर्वत स्थल पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जुगल जोड़ी चारों भाइयों साथ न ही झूला झूलेगी और न ही अयोध्या की सड़कों पर बोल बम के जयकारे गूंजेंगे. कोरोना महामारी के चलते लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सावन झूला मेले पर प्रतिबंध लगा दिया है. संतों ने भी शिव भक्तों से इस बार सावन के महीने में अयोध्या नहीं आने की अपील की है.
बता दें कि, हाल ही में दिनों सूर्य ग्रहण के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के सरयू नदी में स्नान किया था. यहां सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा गया था और प्रशासन को सैकड़ों की संख्या में लोगों पर एफआई दर्ज की थी. अब प्रशासन सावन झूला मेले को देखते हुए सतर्कता बरत रहा है. जिलाधिकारी ने साफ निर्देश दिया है कि सावन झूला मेले के समय अयोध्या में भीड़ जमा न हो और न ही किसी कांवड़िए को प्रवेश करने दिया जाए. जीएम ने अयोध्या के प्रवेश मार्गों पर बैरिकेडिंग कर कड़ी निगरानी के भी निर्देश दिए हैं. कोरोना के वजह से रामनवमी मेला पहले ही प्रभावित हो चुका है और अह सावन का प्राचीन मेला भी स्थगित कर दिया गया है.
मणि पर्वत मंदिर के महंत राम चरण दास ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से इस बार सभी कुछ प्रभावित है. श्रद्धालुओं से अपील है कि वो अपने घरों में ही रहें. प्रशासन भी अपनी जिम्मेदारी निभाए और लोगों की भीड़ जमा न होने दे. राम चरण दास ने बताया कि मणि पर्वत पर झूला मेला उत्सव की तरह मनाया जाता रहा है. यहां झांकियां सजती हैं जिनको देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. मान्यता है कि मणि पर्वत पर विवाह के बाद माता सीता ने झूलों का आनंद लिया था और राजा जनक ने मणियों का पर्वत बनाया था.
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