नई दिल्ली: बिहार में ‘चमकी बुखार’ से मासूम बच्चों का 'काल के गाल' में समाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले पर सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार की जमकर फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए दोनों से जवाब मांगा है. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से 7 दिनों में रिपोर्ट तलब की है. बीमारी की रोकथाम और बच्चों के इलाज को लेकर उठाए जा रहे कदमों का ब्यौरा भी कोर्ट ने मांगा है.


आपको बता दें कि बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से अब तक 152 बच्चों की मौत हो चुकी है.


हालांकि सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने कहा कि हालात अब काबू में हैं. इसके जवाब में कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि चीजें इस तरह से नहीं चल सकतीं. सरकार को जवाब देना होगा. अदालत ने तीन मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है. ये तीन मुद्दे हेल्थ सर्विस, न्यूट्रिशन और हाइजिन का है. अदालत की तरफ से कहा गया है कि ये सभी लोगों के मूल अधिकार हैं और उन्हें निश्चित रूप से मिलना ही चाहिए.


बता दें कि मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत के मामले से जुड़ी दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी. सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में मांग की गई थी कि अदालत की तरफ से बिहार सरकार को मेडिकल सुविधा बढ़ाने के आदेश दिए जाएं और साथ ही केंद्र सरकार को इस बारे में एक्शन लेने को कहा जाए.


बच्चों के मौत का आकड़ा 152 तक पहुंचा


बिहार में बीते एक महीने से एईएस या चमकी बुखार को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. अब तक इससे 152 बच्चों की मौत हो गई है. मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) में अब तक 110 बच्चों की मौत हो चुकी है और कई बच्चों का इलाज चल रहा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. वहीं केंद्र सरकार भी बच्चों की लगातार हो रही मौत पर कुछ भी कहने से बच रही है. हालांकि मुजफ्फरपुर में पहली बारिश के बाद हास्पिटल में चकमी बुखार से पीड़ित बच्चों के केस में कमी आई है.


और पढ़ें