चुनावी मौसम में हुई तेजस्वी की किरकिरी, बंगला खाली करने के साथ-साथ देना होगा जुर्माना
उपमुख्यमंत्री पद से हटने के बाद विधानसभा सचिवालय ने तेजस्वी को पटना के 5, देशरत्न मार्ग बंगले को खाली करने के लिए कहा था. इसके बदले राज्य सरकार ने उन्हें 1, पोलो रोड में एक बंगला भी आवंटित कर दिया. लेकिन तेजस्वी बड़ा बंगला नहीं छोड़ना चाहते थे.

नई दिल्ली: आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. उपमुख्यमंत्री रहते पटना में मिले बंगले को खाली न करने पर अड़े तेजस्वी की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दी. इतना ही नहीं कोर्ट ने अपना समय बर्बाद करने के लिए तेजस्वी पर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया.
उपमुख्यमंत्री पद से हटने के बाद विधानसभा सचिवालय ने तेजस्वी को पटना के 5, देशरत्न मार्ग बंगले को खाली करने के लिए कहा था. इसके बदले राज्य सरकार ने उन्हें 1, पोलो रोड में एक बंगला भी आवंटित कर दिया. लेकिन तेजस्वी बड़ा बंगला नहीं छोड़ना चाहते थे.
तेजस्वी ने सबसे पहले पटना हाई कोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका दाखिल की, जो खारिज हो गई. सिंगल बेंच के फैसले के बाद जब प्रशासन के लोग बंगला खाली करवाने पहुंचे, तो तेजस्वी ने ये कहते हुए उन्हें रोक दिया कि उनकी अपील डबल बेंच में लंबित है. बाद में डबल बेंच ने भी उनकी अपील खारिज कर दी. तब तेजस्वी बंगला खाली करने की बजाय सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए.
आज ये मामला चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेच के सामने लगा. तेजस्वी की तरफ से कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "तेजस्वी उपमुख्यमंत्री थे, अब विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. उनका दर्जा उपमुख्यमंत्री जैसा ही है. उन्हें उसी बंगले में रहने देना चाहिए." चीफ जस्टिस ने उन्हें रोकते हुए कहा, "नियम नियम होता है. राजनेता भी इससे बंधे हैं. आपको यह बंगला उपमुख्यमंत्री होने की वजह से मिला था. जब आप इस पद पर नहीं है, तो आप कैसे उसी बंगले में रह सकते हैं?"
सिंघवी ने सफाई देने की कोशिश की. लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा, "आप ने इस मसले पर बार-बार याचिका कर अदालत का समय बर्बाद किया है. आपको इसके लिए 50 हज़ार रुपये का जुर्माना देना होगा." इसके साथ ही कोर्ट में तेजस्वी की याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तेजस्वी को न सिर्फ बंगला खाली करना पड़ेगा, बल्कि जुर्माना भी चुकाना होगा. मतलब चुनावी मौसम में ऐसी किरकिरी, जिसे मुद्दा बनाने से उनके विरोधी दल नहीं चूकने वाले.
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