कानपुर: लगातार बढ़ रहे गंगा के जलस्तर ने कटरी किनारे बसे गांवो की मुसीबत को बढ़ा दी है. घरों और झोपड़ियों में पानी भर जाने से उनकी घर गृस्थी बर्बाद हो गयी है. राशन और पीने के पानी के लिए भी मोहताज हो गए है. जिला प्रशासन ने लगभग 4 दर्जन गांवो को खाली कराया है और उनके ठहरने के लिए कैम्प बनाये हैं. ग्रामीण नाव की मदद से बची हुआ जरूरी सामान लेकर बाढ़ रहत कैम्प में पहुच रहे हैं. जिला प्रशासन की तरफ से बाढ़ पीड़ितों के खाने और पीने के पानी और दवाओ का इंतजाम किया है.




पिछले दिनों हरिद्वार और नरौरा बांध से छोड़ा गया पानी अब गांवो के अन्दर घुसने लगा है. गंगा किनारे बसे गांवो की स्थति बद से बत्तर होती जा रही है. गांवो की जिन गलियों लोग पैदल गुजरते थे और वाहनों का आवागमन था वहा आज नाव चल रही है. लगातार गंगा के जल स्तर में इजाफा हो रहा है जिसे देख कर जिला प्रशासन भी हैरान है.

अगर गंगा के जलस्तर की बात की जाये तो बिठूर से बैराज तक 114 .86 मीटर है. इसके बाद गंगा बैराज से शुक्लागंज तक 114 .23 मीटर गंगा का जलस्तर है. गंगा बैराज से सभी गेट खुले हुए है और 4.31 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. बैराज पर लगातार दबाव बनने की वजह से इतनी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है.

बिठूर से गंगा बैराज के बीच गंगा किनारे बसे गांवो में लगभग 4 फिट तक पानी भर गया है. जिसमें भागवादीन पुरवा, मक्का पुरवा, बनिया पुरवा, लक्षण पुरवा, दुर्गा पुरवा शिवदीन पुरवा, सिंघपुर, इश्वरिगंज, रमैल, हिन्गुपुर, हदय पुर समेत कई दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में हैं. बैराज से शुक्लागंज के किनारे बसे कई दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में है जिसमें उन्नाव और कानपुर की सीमा में बसे गांव शामिल हैं.

बाढ़ की चपेट में फसे ग्रामीणों को गांव से बाहर निकाला निकाला जा रहा है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेजने का कार्य किया जा रहा है. जिला प्रशासन ने बाढ़ राहत केन्द्रों पर बायो ट्वायलेट की व्यवस्था करा रही है. वहीं बिजली विभाग बाढ़ राहत कैम्पों में बिजली व्यवस्था के प्रबंध में जुटा है. इसके साथ ही बिजली विभाग ने उन गांवो की बिजली काट दी है जो बाढ़ की चपेट में है.



समाजसेवी संगठनों की तरफ से भी बाढ़ पीड़ितों के लिए खाद्य सामग्री पहुचाने का कार्य किया जा रहा है. इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों ने भी बाढ़ राहत केन्द्रों पर भोजन की व्यवस्था की है.