प्रयागराज: दारुल उलूम देवबंद के बारे में दिए गए केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान पर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है. स्वामी स्वरुपानंद ने कहा है कि गिरिराज सिंह का ये बयान देश में धर्म के नाम पर विद्वेष फैलाने की कोशिश है.


उन्होंने कहा है कि जहां धर्म की शिक्षा दी जाती है और धर्म का ज्ञान कराया जाता है, वहां पर इस तरह के आरोप लगाना कतई उचित नहीं है. कोई भी धर्म अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. उन्होंने कहा है कि कोई भी धर्म अपराध की कोटि में तभी आ सकता है, जहां हिंसा फैलाने की कोई शिक्षा दी जाती हो.


शंकराचार्य स्वरूपानंद ने कहा है कि इस तरह से किसी जाति विशेष के विरुद्ध विद्वेष की भावना नहीं पैदा की जानी चाहिए. उन्होंने जाति धर्म के नाम पर समाज में ध्रुवीकरण का भी विरोध किया है. स्वामी स्वरुपानंद का कहना है कि भारत में जो भी लोग रहते हैं उन पर धर्म के नाम पर किसी तरह की जोर जबरजस्ती नहीं की जा सकती है.


उन्होंने कहा कि हमारा सनातन धर्म इतना उत्कृष्ट है कि जिसको भी इसकी शिक्षा मिलेगी, वह सनातन धर्म का भक्त हो जायेगा. इस्लाम की अच्छी शिक्षाएं भी हमारी शिक्षाओं की ही तरह से हैं. हमारे धर्म शास्त्र में लिखा है कि यदि किसी ऐसे देश में जहां आप का अधिकार हो जाये और वहां की संस्कृति आपसे भिन्न है तो भी आपका कर्तव्य है कि आप उसी संस्कृति का पालन करें.


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