इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसहारा बुजुर्ग नागरिकों की देखभाल और उनकी सुरक्षा को लेकर एक अहम आदेश जारी किया है. अदालत ने एक मामले में सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को आदेश दिया है कि वह सूबे के हर जिले में बेसहारा बुजुर्गों के लिए ओल्ड एज शेल्टर होम्स बनाए. इन सरकारी शेल्टर होम्स में मेंटेनेंस फिसर घोषित किया जाए. अदालत ने सरकार को बुजुर्गों से जुड़े मामलों के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल व अपीलीय ट्रिब्यूनल बनाने के भी आदेश दिए हैं.

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सभी जिलों में सीनियर सिटिजंस की जिला कमेटी बनाने का भी आदेश दिया है और साथ ही यह भी कहा है कि बुजुर्गों की सुरक्षा व देखभाल को लेकर पहले से बने नियमों व सरकार द्वारा अभी उठाए गए क़दमों की जानकारी को मीडिया के माध्यम से प्रचारित कर लोगों को जागरूक भी किया जाए. अदालत के फैसले के मुताबिक़ इस बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले से तय की गई गाइडलाइंस का भी यूपी में तीन महीने में कड़ाई से पालन किया जाए.

आदेश न्यायमूर्ति तरूण अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति अशोक कुमार की खण्डपीठ ने कु. जानकीदेवी व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याची बेसिक शिक्षा अधिकारी पद से रिटायर्ड 75 साल की अविवाहित, असहाय महिला है. न तो वह बोल सकती है और न ही लिख सकती है, लगभग कोमा की हालत में है. एक नजदीकी महिला ने पंजाब नेशनल बैंक में संयुक्त खाता खुलवाया और याची के पेंशन खाते से तकरीबन साढ़े बाइस लाख रूपये ट्रांसफर कर उनमे से अठारह लाख रूपये निकाल लिए, मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो अदालत ने जरूरी निर्देश दिए.

कोर्ट ने कहा है कि असहाय व वृद्ध नागरिक समाज के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं. उनके जीवन व सम्पत्ति की सुरक्षा की जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा है कि जिला मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में सीएमओ, मुख्य ट्रेजरी अधिकारी व बीएसए व जिला समाज कल्याण अधिकारी की कमेटी याची की व्यवस्था व देखभाल करे. कमेटी का संयोजक मुख्य ट्रेजरी अधिकारी होगा. जिला समाज कल्याण अधिकारी हफ्ते में एक बार विजिट कर याची की दवा आदि की व्यवस्था कर बिलों को पास कराए, वह डीएम को रिपोर्ट दे, सीएमओ इलाज व दवा की व्यवस्था करे और जरूरी हों तो वृद्धाश्रम में शिफ्ट करें.