अयोध्या: शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने 51,000 दिए, कहा- राम मंदिर हिंदुस्तान के गौरव की बात
उन्होंने कहा कि अयोध्या का राम मंदिर पूरे विश्व में हिंदुस्तान के लिए गौरव की बात है. फैसल के बाद उन्होंने कहा था कि वक्फ बोर्ड अपने मकसद में कामयाब हो गया.
नई दिल्ली: अयोध्या रामजन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने बड़ा कदम उठाया है. वसीम रिज़वी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 51 हज़ार रुपये दान दिए हैं. रिजवी ने रामजन्मभूमि न्यास को भेजा 51,000 का चेक दिया है.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर संतुष्टि जताते हुए उन्होंने कहा कि जब कभी मस्जिद का निर्माण होगा बोर्ड उसमें भी मदद करेगा. उन्होंने कहा कि अयोध्या का राम मंदिर पूरे विश्व में हिंदुस्तान के लिए गौरव की बात है. वसीम रिजवी आज अयोध्या जाकर रामजन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष से भी मुलाकात करेंगे.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वसीम रिजवी ने कहा कि वक्फ बोर्ड अपने मकसद में कामयाब हो गया. उन्होंने कहा था, ''अयोध्या में जन्मभूमि पर ही राम मंदिर बने, यही हमारा मकसद था. फैसले से तय हो गया है कि जन्मभूमि पर ही भव्य राम मंदिर बनेगा.''
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला है क्या ? शनिवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सिर्फ 43 मिनटों में भारत के सबसे लंबे मुकदमे का फैसला पढ़ दिया. 40 दिनों की सुनवाई के दौरान इस विवाद से जुड़े सभी पक्षों ने अपनी दलीलें रखी थीं, कोर्ट ने आज उन तमाम दलीलों और सबूतों का जिक्र भी फैसला पढ़ते हुए किया. कोर्ट के फैसले मुताबिक निर्मोही अखाड़ा जमीन पर कब्जे के अपने दावे को साबित नहीं कर पाया, इसलिए उनके दावे को खारिज कर दिया गया.
2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला को मिली यानी अयोध्या में जन्मस्थान पर ही मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया. मंदिर बनाने की जिम्मेदारी एक ट्रस्ट को मिलेगी. केंद्र सरकार को 3 महीने में ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया. केंद्र चाहे तो जमीन के हक से बाहर किए गए निर्मोही अखाड़े को मंदिर के ट्रस्ट में जगह दे सकता है.
वहीं मुस्लिम पक्ष को किसी और जगह पर 5 एकड़ जमीन देने के लिए कहा गया है. सरकार तय करेगी कि ये जमीन अधिगृहीत जमीन के अंदर हो या अयोध्या में ही किसी और जगह पर होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल कर मुस्लिम पक्ष को जमीन दी.