शिवसेना इफेक्ट: एनडीए सहयोगियों का बढ़ रहा है दबाव, संवाद बढ़ाने की मांग हुई तेज़
एनडीए के सहयोगी दलों को संवाद की कमी को लेकर परेशान हैं. एनडीए के सहयोगी दल समन्वय समिति बनाए जाने की मांग करने पर भी विचार कर रहे हैं.
पटना: शिवसेना के बाहर जाने के बाद अब एनडीए के सहयोगी दलों में चिंता बढ़ रही है. उनका मानना है कि एनडीए गठबंधन में संवाद के अवसर ज़्यादा नहीं मिलते जिसका असर गठबन्धन पर पड़ सकता है. बिहार में एनडीए की एक अहम साथी लोकजनशक्ति पार्टी ने एक अन्य सहयोगी जेडीयू के उस बयान पर चिंता जताई है जिसमें कहा गया था कि एनडीए के भीतर समन्वय और संवाद की कमी है.
लोकजनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि अगर किसी सहयोगी को ऐसा लगता है कि गठबन्धन में समन्वय का अभाव है तो इस शिकायत को दूर करने की ज़रूरत है. चिराग पासवान ने ये भी माना कि जिस तरह से हर संसद सत्र के पहले एनडीए सहयोगियों की बैठक होती है वैसी ही बैठक साल में और भी होनी चाहिए .
जेडीयू ने समन्वय समिति बनाने की मांग की थी
जेडीयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा था कि एनडीए में समन्वय की कमी है और इसे दूर करने के लिए पहले की तरह ही एक समन्वय समिति बनाने की ज़रूरत है. त्यागी के मुताबिक़ राम मंदिर, एनआरसी, तीन तलाक़ बिल और समान आचार संहिता जैसे बड़े मामलों पर भी सहयोगी दलों में कोई बातचीत नहीं होती जो ठीक नहीं है. उन्होंने तो एनडीए का एक साझा घोषणा पत्र भी जारी किए जाने की मांग की थी.
एनडीए की बैठक में उठ सकता है मसला सूत्रों के मुताबिक़ 18 नवम्बर से शुरू होने वाले संसद सत्र के एक दिन पहले जो एनडीए की बैठक होनी है उसमें कुछ सहयोगी दल समन्वय समिति बनाए जाने की मांग कर सकते हैं. दरअसल बीजेपी-शिवसेना गठबन्धन को बहुमत मिलने के बावजूद महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन पाई और शिवसेना ने एनडीए से बाहर आने का फ़ैसला कर लिया. झारखंड में होने वाले चुनाव में भी एनडीए के घटक दलों में सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन पाई है. इसी के बाद बीजेपी के अलावा एनडीए के अन्य सहयोगी दल इस तरह की मांग कर रहे हैं.
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