'सेक्युलर मोर्चा' के नेता बने शिवपाल यादव, सोशल मीडिया पर समाजवादी पार्टी को कहा अलविदा
शिवपाल यादव अब नई पहचान के साथ राजनैतिक अखाड़े में कूद पड़े हैं. सोशल मीडिया में भी उन्होंने समाजवादी पार्टी को अलविदा कह दिया है. अपने ट्वीटर और फ़ेसबुक अकाउंट से शिवपाल ने समाजवादी पार्टी का नाम हटा दिया है. उन्होंने अपना परिचय समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के नेता के रूप में दिया है.
लखनऊ: शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से हर तरह का नाता तोड़ लिया है. अब वे समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के नेता बन गए हैं. इस नई पार्टी के बनाने का एलान तो उन्होंने पिछले ही हफ़्ते कर दिया था. लेकिन शिवपाल यादव अब नई पहचान के साथ राजनैतिक अखाड़े में कूद पड़े हैं. सोशल मीडिया में भी उन्होंने समाजवादी पार्टी को अलविदा कह दिया है. अपने ट्वीटर और फ़ेसबुक अकाउंट से शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी का नाम हटा दिया है. उन्होंने अपना परिचय समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के नेता के रूप में दिया है. अपने बायो में उन्होंने इटावा के जसवंतनगर से विधायक होने का भी ज़िक्र किया है. ज़िस समाजवादी पार्टी के वे संस्थापक सदस्य रहे, 36 सालों बाद अब उसी पार्टी से शिवपाल यादव के सारे संबंध ख़त्म हो गए हैं. शिवपाल यादव इन दिनों पश्चिमी यूपी के दौरे पर हैं.
अखिलेश यादव के समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ही शिवपाल यादव हाशिए पर थे. पार्टी की किसी भी मीटिंग और कार्यक्रम में उन्हें नहीं बुलाया जाता था. उनकी हैसियत सिर्फ़ एक विधायक भर की रह गई थी. लगातार उपेक्षित रहने के बाद अब शिवपाल यादव अलग रास्ते पर चल पड़े हैं. अखिलेश यादव के मुख्य मंत्री बनने के बाद से ही चाचा भतीजा में खटखट शुरू हो गई थी.
रिश्ते में शिवपाल तो अखिलेश के सगे चाचा लगते हैं. अखिलेश सरकार में शिवपाल सबसे ताक़तवर मंत्री रहे. लेकिन पार्टी से लेकर सरकार में चाचा और भतीजे में तनातनी बढ़ती रही. साल 2016 के आख़िर में लड़ाई आर-पार की हो गई थी. उन दिनों मुलायम सिंह यादव पार्टी के अध्यक्ष थे. उन्होंने शिवपाल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. तो बदले में अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया. मुलायम ने अखिलेश को पार्टी से बाहर कर दिया था. मुलायम परिवार का झगड़ा सड़क पर आ गया था. इसका नुक़सान समाजवादी पार्टी को विधानसभा चुनाव में भी उठाना पड़ा.
ये सब बातें अब अतीत बन गई हैं. अखिलेश यादव और शिवपाल यादव अब एक दूसरे के आमने-सामने हैं. लोकसभा चुनाव की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. शिवपाल यादव भी इस बार चुनाव लड़ने का फ़ैसला कर चुके हैं. अब तक वे विधायक ही चुने जाते रहे हैं. वे किस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, अभी तय नहीं है. लेकिन सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव फ़िरोज़ाबाद से चुनाव लड़ सकते हैं.
बागपत दौरे में वे यूपी में लोकसभा की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. शिवपाल यादव यूपी की कई छोटी पार्टियों से बातचीत कर रहे हैं. अखिलेश यादव से उपेक्षित चल रहे कई नेताओं को भी वे समाजवादी सेक्युलर मोर्चा से जोड़ने में जुटे हैं. लखनऊ में लोहिया ट्रस्ट अब समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का अघोषित ऑफ़िस बन गया है. ख़बर है कि अगले महीने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा एक बड़ी मीटिंग करने की तैयारी में हैं.