लखनऊ: शिवपाल सिंह यादव ने भले ही ''समाजवादी सेक्युलर मोर्चे'' का गठन कर लिया हो पर समाजवादी पार्टी में उपेक्षा को लेकर उनका दर्द रह-रह के छलक रहा है. शिवपाल कभी इशारों तो कभी कहावतों के जरिए अपना दर्द बयां कर रहे हैं. शिवपाल ने कहा, ''मैंने बहुत सोचा कि हम अलग-अलग लड़ेंगे तो नुकसान होगा, लेकिन मुझे तो सपा के टिकट से लड़ने पर ही समाजवादी पार्टी के लोग लड़ाने में लगे रहे. मेरे वोट कम हो गए, क्योंकि मेरे खिलाफ लड़ने वाले की हमारे ही लोगों ने मदद की.''


पांडवों ने तो 5 गांव मांगे, मैनें तो केवल सम्मान मांगा था


शिवपाल ने आगे कहा कि पांडवों ने तो 5 गांव मांगे, मैंने तो वो भी नहीं मांगा था, केवल सम्मान मांगा था. कहा था कि स्टाम्प पर लिखवा लो सीएम नहीं बनना. उन्होंने कहा कि मेरे पास इतने बड़े विभाग थे फिर भी कोई आरोप लगा क्या? पुलिस भर्ती में आरोप लगाया जबकि मेरे पास विभाग भी नहीं था.ऐसे ठग और चापलूसों के पास कोई विभाग नहीं होना चाहिए. हम लोगों से अपील करेंगे कि ऐसे लोगों का सम्मान ना हो.


शिवपाल ने कहा- मैंने बहुत से लोगों को काफी कुछ दिया, लेकिन वो सुदामा नहीं निकले
उन्होंने कहा कि बहुत से लोग बिना मेहनत काफी कुछ चाहते हैं. लोगों के लिए हमने काफी कुछ किया, लोग उम्मीद से आते थे तो हम कोशिश करते थे के वो कुछ लेके जाए.
अगर कोई दरवाज़े पर आता है तो खाली हाथ नहीं जाना चाहिए, ये धर्म है. मैंने बहुत से लोगों को काफी कुछ दिया, लेकिन वो सुदामा नहीं निकले. मैंने कहा था कि चोरी तो करो लेकिन डकैती ना करो.


शिवपाल बोले- भगवान राम को भी करना पड़ा था संकट का सामना
शिवपाल यादव ने कहा कि धर्म कहता है कि सभी के साथ न्याय होना चाहिए, किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. जितने भी बड़े आदमी हुए सब पर संकट पड़ा, उन्होंने भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम मर्यादा पर चलने वाले थे, उन्हें भी संकट का सामना करना पड़ा, सीता माता का अपहरण हुआ लेकिन धर्म पर चलने वाले की ही विजय हुई.


शिवपाल का कहना है कि जो सत्य पर नहीं चलता तो उसका कोई नाम नहीं लेता
शिवपाल बोले कि जब धर्म का नाश करने की कोई कोशिश करता है और सत्य पर नहीं चलता तो उसका कोई नाम नहीं लेता है. ये कहावत है कि सत्ता पाकर मद आ जाता है, अभिमान आ जाता है. रावण को आया, कंस को आया और इन सबका नाश हुआ.


मैंने नेताजी के कपड़े भी धोए हैं
शिवपाल ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि राजनीति में आना पड़ेगा. मैंने कभी पद नहीं मांगा था. अपने पुराने समय को याद करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने तब से काम किया जब साइकिल भी नहीं मिलती थी, संघर्ष का दौर था. हमने सौ-सौ किलोमीटर साइकिल चलाई, मैंने नेताजी के कपड़े भी धोए हैं.


बता दें कि शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से हर तरह का नाता तोड़ लिया है. अब वे समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के नेता बन गए हैं. शिवपाल यादव अब नई पहचान के साथ राजनैतिक अखाड़े में कूद पड़े हैं. सोशल मीडिया में भी उन्होंने समाजवादी पार्टी को अलविदा कह दिया है. अपने ट्वीटर और फ़ेसबुक अकाउंट से शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी का नाम हटा दिया है. उन्होंने अपना परिचय समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के नेता के रूप में दिया है. अपने बायो में उन्होंने इटावा के जसवंतनगर से विधायक होने का भी ज़िक्र किया है. ज़िस समाजवादी पार्टी के वे संस्थापक सदस्य रहे, 36 सालों बाद अब उसी पार्टी से शिवपाल यादव के सारे संबंध ख़त्म हो गए हैं.