लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकारी बंगले में विभिन्न निर्माण कार्य किया था, जिसके लिए उन्होंने राज्य संपत्ति विभाग से अनुमति नहीं ली थी और अब इस मामले में कानून अपना काम करेगा. सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास में कई निर्माण कार्य कराए थे. इसके लिए उन्होंने राज्य संपत्ति विभाग से अनुमति नहीं ली थी.’’


सिंह ने कहा कि इसके लिए कानून है और इस बारे में कानून अपना काम करेगा.


उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने जून में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को समाजवादी पार्टी नेता के सरकारी बंगला छोड़ते समय की गई तोड़फोड़ के मामले की जांच कराने का आदेश दिया था, जिसकी रिपोर्ट विभाग को सौंप दी गई है. इसके बारे में पूछे जाने पर सिंह का बयान आया है.


अखिलेश जब 2012 में यूपी के मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग पर अपने नाम से एक बंगला आवंटित कर लिया था. 2017 में जब उनकी सरकार चली गई तो वह उस बंगले में रहने चले गए थे.


लोकनिर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने 266 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट राज्य संपत्ति अधिकारी को सौंपी है. सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में बंगले में लाखों रुपए का नुकसान होना बताया गया है.


इस रिपोर्ट के बारे में समाजवादी पार्टी के नेता और विधानपरिषद सदस्य राजपाल कश्यप ने कहा कि ' सरकार ऐसी रिपोर्ट से पूर्व मुख्यमंत्री की छवि खराब करने का प्रयास कर रही है. बीजेपी सरकार एसपी-बीएसपी की दोस्ती और लोकसभा उपचुनाव की हार से परेशान है इसलिए वह यादव की छवि खराब करने की कोशिश में लगी है.'