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रोशनी की उम्मीद में कराया था आंखों का ऑपरेशन, धरती के भगवान ने दे दिया अंधेरा

रोशनी की उम्मीद में मोतियाबिंद की सर्जरी कराने वाले छह लोगों की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधेरा छा जाने का खतरा मंडरा रहा है. मामला वाराणसी के मारवाड़ी अस्पताल का है.

वाराणसी: रोशनी की उम्मीद में मोतियाबिंद की सर्जरी कराने वाले छह लोगों की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधेरा छा जाने का खतरा मंडरा रहा है. मामला वाराणसी के मारवाड़ी अस्पताल का है. यहां मोतियाबिंद की सर्जरी कराने वालों में से छह लोगों की आंखों की रोशनी ही नहीं लौटी उलटा आंखों में इन्फेक्शन हो चुका है. मामला उजागर होने पर अब अस्पताल का मैनेजमेंट लापरवाही न बर्दाश्त करने और इन मरीजों का ऑपरेशन दोबारा कराने की बात कह रहा है. डॉक्टरों ने मरीजों को दिलासा देकर मामले को काफी दबाने की कोशिश की, लेकिन मरीजों के परिजनों के हंगामे के चलते आखिरकार मामला सामने आ ही गया.

इस अस्पताल में ऑपरेशन के बाद अपनी आंखों की रोशनी खोने वालों में ज्यादातर मरीज आसपास के जिलों और बिहार के हैं. अब इनके सामने अपनी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए खो देने का खतरा मंडरा रहा है. बीती 12 जून को जब ऑपरेशन के इन मरीजों के आंखों की पट्टी खोली गई तो इन्हें कुछ भी नहीं दिखाई पड़ा. परिजनों के पूछने पर डॉक्टरों ने अगले 72 घंटे में आंखों की रोशनी वापस आने का दिलासा दे दिया. यह समय बीत जाने के बाद भी आंखों की रोशनी तो नहीं लौटी बल्कि तकलीफ और बढ़ गई.

रोशनी की उम्मीद में कराया था आंखों का ऑपरेशन, धरती के भगवान ने दे दिया अंधेरा

परिजनों और मरीजों की बार-बार शिकायत के बाद जब अस्पताल के मैनेजमेंट के हाथ-पाँव फूले तो उन्हें शहर के दूसरे प्राइवेट हॉस्पिटल में जांच के लिए भेजा गया. शुक्रवार को दिन में जब मरीजों और परिजनों ने इस मामले में हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन पर दबाव बनाना शूरू किया तो डॉ. सनी गुप्ता मरीजों को लेकर पहड़िया स्थित डॉ. नीरज पांडेय के रेटिना फाउंडेशन पहुंचे.

इस हॉस्पिटल में जांच के बाद पता चला कि वायरस के चलते आंखों की परत के पिछले हिस्से में पस जमा हो चुका है. इन्फेक्शन की वजह से इन मरीजों के आंखों की रोशनी नहीं लौटी. इस होस्पिटल के डॉक्टर ने मरीजों को बताया कि इनकी आंखों का ऑपरेशन एक बार फिर करना पड़ेगा.

इस ऑपरेशन की लागत 35 हजार से 50 हजार रुपयों तक के बीच की बताई गई. आंखों की रोशनी चली जाने के बाद यह मरीजों के लिए दूसरा शॉक था. मरीजों के परिजनों ने इस दोबारा ऑपरेशन के लिए लागत को लेकर आपत्ति जाहिर की तो हॉस्पिटल के मैनेजमेंट ने अपने खर्चे पर सभी का दोबारा ऑपरेशन कराने की बात कही है.

रोशनी की उम्मीद में कराया था आंखों का ऑपरेशन, धरती के भगवान ने दे दिया अंधेरा

इस मामले में हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने स्वीकार किया कि कहीं न कहीं ऑपरेशन के मामले में लापरवाही हुई है. उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल मैनेजमेंट इस तरह की लापरवाही हरगिज बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने इस मामले के जिम्मेदार लोगों की पहचान कर, उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही. उन्होंने मरीजों के परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि मैनेजमेंट की प्रायोरिटी मरीजों की आंखों के रोशनी जल्द से जल्द वापस लौटाने की है, जरुरत पड़ी तो सभी मरीजों को दिल्ली ले जाकर उनका इलाज कराया जाएगा.

अपने आंखों में हुए मोतियाबिंद की सर्जरी कराने वालों में चंदौली के ऑटो ड्राईवर त्रिवेणी वर्मा भी शामिल हैं. वे घर का खर्च चालने वाले एकलौते शख्स हैं. ऑटो चलाकर वे अपनी पत्नी और पांच बच्चों की परवरिश करते हैं. अब उन्हें अपनी आंखों की रोशनी के साथ-साथ अपने परिवार का भविष्य भी अंधेरे में गम होता नजर आ आ रहा है.

त्रिवेणी के मुताबिक उन्हें अपनी आंख लगातार दिक्कत महसूस हो रही थी. इसके चलते वे मारवाड़ी हॉस्पिटल आए थे, यहां उनकी आंखों में मोतियाबिंद की शिकायत पाई गई. डॉक्टरों के कहने पर उन्होंने अपनी आंखों का ऑपरेशन कराया, लेकिन अब बची-खुची रोशनी भी जा चुकी है. उनके लिए समस्या यह है कि अगर रोशनी नहीं लौटी तो वे दोबारा ऑटो नहीं चला पाएंगे और ऐसे में उनके सामने अपने परिवार की परवरिश का संकट खड़ा हो जाएगा.

रोशनी की उम्मीद में कराया था आंखों का ऑपरेशन, धरती के भगवान ने दे दिया अंधेरा वहीं पड़ोसी राज्य बिहार के बक्सर जिले से आकर अपनी आंखों का ऑपरेशन कराने वाले यज्ञ नारायण का विश्वास अब धरती के भगवान पर से उठ चुका है. वे कहते हैं कि वे बनारस इस उम्मीद से आए थे कि कुछ भगवान की कृपा तो कुछ धरती के भगवान डॉक्टरों की कृपा से उनके आंखों की रोशनी बिलकुल ठीक हो जाएगी. लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिरने के साथ ही अब उनकी दुनिया में हमेशा के लिए अंधेरा छाने का खतरा मंडरा रहा है. डॉक्टरों के आश्वासन के बाद भी अभी तक उनकी आंखों की रोशनी नहीं लौटी है.

इन्हीं की तरह जौनपुर की रहने वालीं वंदना, वाराणसी शहर के कोनिया इलाके की रहने वाली मालती देवी, नवाबगंज की अख्तरी बेगम, मिर्जापुर की पार्वती देवी और जौनपुर की वंदना भी परेशान हैं. उनके परिजन रह-रह कर उनकी हालत और तकलीफ देखकर रो पड़ रहे हैं. सभी डॉक्टरों की लापरवाही को इस स्थिति का जिम्मेदार मान रहे हैं. परिजनों का कहना है कि आंख की सर्जरी में अबतक सभी 10-15 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं. जब पहड़िया स्थित हॉस्पिटल में जांच की गई तो उन्हें एक बार फिर से 35-50 हजार रुपए का खर्च आने के बात कही गई लेकिन आंखों की रोशनी वापस आ जाएगी, इस बात की कोई गारंटी नहीं दी गई.

इस मामले में जब वाराणसी के सीएमओ डॉ. वीबी सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामले की जानकरी मिलते ही वे शुक्रवार की रात को मारवाड़ी अस्पताल गए थे. उन्होंने वहां मरीजों से बात की और उनकी जांच एक्सपर्ट डॉक्टरों से करवाई है. इन सभी छह मरीजों की आंख का ऑपरेशन दोबारा एक्सपर्ट डॉक्टर्स से करवाया जाएगा. उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो इसके लिए जिले के सभी हॉस्पिटल्स को सख्त निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच की जा रही है और इन्फेक्शन फैलने के कारणों का पता लगया जा रहा है. इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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