लखनऊ: यूपी में अवैध बूचड़खानों पर शिकंजा कसता जा रहा है. मीट कारोबार पर तो इसका असर पड़ ही रहा है, अब चमड़े का व्यापार भी प्रभावित हो रहा है. कानपुर की चमड़ा इंडस्ट्री में कच्चा माल नहीं आने से काम करने वाले लोगों के सामने बड़ी मुश्किलें पैदा हो गयी हैं. चमड़े के कारोबार के लिए मशहूर कानपुर में लाखों लोगों का रोज़गार इसी से चलता है. मालिकों का कहना है कि बूचड़खानों के बंद होने से कच्चे माल में कमी आयी है जिससे उनके कारोबार पर असर पड़ रहा है. यही नहीं, फैक्ट्रियों में काम भी कम रह गया है और इस वजह से मज़दूरों को अपनी रोज़ी रोटी चलाना मुश्किल हो रहा है.


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बूचड़खानों पर कार्रवाई को चमड़े के कारोबारी सही ठहरा रहे हैं


आगरा में भी कमोबेश हालात कानपुर जैसे ही है. यहां मुख्य रूप से जूते और बैग्स बनाने का काम होता है. अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई को चमड़े के कारोबारी सही ठहरा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर कच्चे माल की कमी और उसकी कीमतों में हुए इज़ाफे से चिंतित भी हैं. हालांकि कारोबारियों का कहना है कि तत्काल तो कोई बड़ा असर नहीं दिख रहा है, लेकिन आने वाले 6 महीने में इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है.


चुने जाने के बाद इस वादे को सीएम योगी ने खूब निभाया है


अवैध बूचड़खानों पर बैन बीजेपी के चुनावी वादों में शामिल था. चुने जाने के बाद इस वादे को सीएम योगी ने खूब निभाया है. ऐसी भी ख़बरें आ रही हैं के कई वैध बूचड़खानों को भी बंद कराया जा रहा है लेकिन योगी सरकार ये साफ कर चुकी है कि कार्रवाई सिर्फ अवैध बूचड़खानों पर हो रही है, लाइसेंस वाले और मानकों के मुताबिक काम करने वाले बूचड़खाने काम करते रहेंगे.


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चमड़े के कारोबार से 20 लाख लोग जुड़े है, 1.75 लाख लोग जूते बनाने का काम करते है


उत्तर प्रदेश में चमड़ा उद्योग में लगभग 10 लाख लोग जुड़े हुए हैं


चमड़ा उद्योग में पूरे देश में कुल निवेश 5,322 करोड़ रुपए का है


साल 2014-15 में चमड़े के सामान का निर्यात 94.20 करोड़ डॉलर हुआ था


बूचड़ख़ानों और चमड़ा उद्योग में मुसलमानों के अलावा दलितों की एक बड़ी आबादी भी शामिल है.


कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक़ देश के 75 बूचड़ख़ानों में से 38 उत्तर प्रदेश में हैं


अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत 18 लाख 50 हजार मीट्रिक टन बीफ का निर्यात करता है

बीफ उत्पादन में भारत दुनिया में पांचवे नंबर पर है,निर्यात में पिछले साल तक दूसरे नंबर पर


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