लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले महीने विधानसभा चुनाव शुरु होने वाला है. एक्सपर्टस की मानें तो साल 2012 की तर्ज पर इस बार भी छोटे दल राष्ट्रीय-राज्य स्तरीय पार्टियों का खेल बिगाड़ेंगे.


2012 में कई विधानसभा सीटों पर बिगाड़ दिया था खेल


साल 2012 के पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो पीस पार्टी और महान दल जैसे छोटे दल तमाम सीटों पर चौथे, पांचवें व छठे स्थान पर रहे मगर इन दलों ने एसपी, बीएसपी, बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय-राज्य स्तरीय पार्टियों का कई विधानसभा सीटों पर खेल बिगाड़ दिया था.


हालांकि इन दोनों ही पार्टियों का इन सभी सीटों पर मुकाबला मुख्यत: एसपी और बीएसपी से ही हुआ था. वहीं इस बार के चुनाव में आरएलडी, पीस पार्टी, निषाद पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम), राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल, इंडियन मुस्लिम लीग, सर्वोदय भारत पार्टी, जेडीयू, अपना दल के कृष्णा पटेल और अनुप्रिया पटेल के दो गुट अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है. कुछ ने तो अपने उम्मीदवार उतार भी दिए हैं.


यहां यह बताना आवश्यक है कि साल-2012 के विधानसभा चुनाव में रालोद ने जो नौ सीटें जीती उनमें से आठ सीटों पर बीएसपी के उम्मीदवार हारे थे. पीस पार्टी ने जो चार सीटें जीती उनमें से तीन पर बीएसपी और एक पर एसपी के उम्मीदवार को हराया गया था.


नौ सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे थे अपना दल के उम्मीदवार


इसी तरह पीस पार्टी तीन सीटों पर नंबर दो पर रही, आठ सीटों पर तीसरे और 24 सीटों पर चौथे स्थान पर थी. वहीं अपना दल के उम्मीदवार नौ सीटों पर दूसरे और 23 सीटों पर तीसरे स्थान पर रहे थे.


साल 2017 के चुनावों की तैयारी की बात करें तो ओवैसी ने पश्चिम यूपी की मुस्लिम आबादी बहुल जिलों की विस सीटों पर फोकस कर चुनावी सभाओं का कार्यक्रम बनाया है. पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अय्यूब, निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय कुमार निषाद के साथ पूर्वाचल के कई जिलों में रैलियां कर रहे हैं.


अपना दल के कृष्णा पटेल धड़े ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए 150 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी की है तो केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल बीजेपी के साथ गठबंधन कर लड़ेंगी. राष्ट्रीय ओलमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी पूर्वाचल की मुस्लिम आबादी बाहुल्य सीटों पर 65 उम्मीदवार उतारेंगे. वह एसपी के वादों पर पोल खोल रैलियां कर रहे हैं.


बिहार की तर्ज पर गठबंधन में शामिल हो सकता है जेडीयू


आरएलडी कांग्रेस के साथ मिल जाट व मुस्लिम आबादी बाहुल्य सीटों पर लड़ने की योजना को अंतिम रूप देने में जुटा है. जेडीयू ने उन इलाकों पर निगाह जमाई हुई है जहां पिछले कुछ महीनों में नीतीश कुमार, शरद यादव की सभाएं हुई. जेडीयू भी बिहार की तर्ज पर गठबंधन में शामिल हो सकता है.


साल-2012 के चुनाव परिणामों की स्थिति पर नजर डालें तो सामने आता है कि हस्तिनापुर सीट पर 2012 के चुनाव में एसपी के प्रभुदयाल वाल्मीकि जीते थे मगर नंबर दो पर पीस पार्टी के योगेश वर्मा रहे. वर्मा ने नंबर तीन रहे कांग्रेस के गोपाल काली व चौथे स्थान पर आए बीएसपी के प्रशांत कुमार गौतम का खासा नुकसान किया था.


ठाकुरद्वारा सीट पर बीजेपी के कुंवर सर्वेश कुमार जीते थे. नंबर दो पर महानदल के विजय कुमार थे, जिन्होंने नंबर तीन रहे कांग्रेस के नवाब जान व नंबर चार पर रहे बीएसपी के हाजी मो. इलियास तथा पांचवें स्थान पर आए एसपी के मनमोहन सिंह सैनी को रोका था. इसी तरह चांदपुर सीट और नूरपुर सीट पर भी कुछ ऐसा ही खेल हुआ था.