मिर्जापुर: सोनभद्र हत्याकांड उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के लिए बड़ा सिर दर्द बनता जा रहा है. इस मामले को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लगातार पीड़ितों से मिलने के फैसले पर अड़ी हुईं है. इस वक्त वह हिरासत में हैं और मिर्जापुर के गेस्ट हाउस में धरने पर बैठी हैं. अब वहां कांग्रेस के कई बड़े नेताओं का जमावड़ा लगने वाला है.


अब कांग्रेस नेता जीतिन प्रसाद, आरपीएन सिंह और दीपेन्द्र हुड्डा भी प्रियंका गाधी के समर्थन मे चुनार गेस्ट पहुंच रहे है. इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल भी सोनभद्र जाएंगे, लेकिन वह इससे पहले चुनार में प्रियंका गांधी से मुलाकात करेंगे. ऐसा लग रहा जैसे कांग्रेस इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और सूबे की योगी सरकार को हर तरफ से घेरने के मूड में है.


बता दें कि सोनभद्र के घोरावल तहसील के उभ्भा गांव में हुए खून खराबा के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी शुक्रवार को बीएचयू के ट्रामा सेंटर में गोलीकांड के घायलों से मिलने पहुंची थीं. इसके बाद वह सोनभद्र के लिए रवाना हुई तो मिर्जापुर बॉर्डर पर अदलहाट थाने की पुलिस ने प्रियंका को हिरासत में ले लिया. दरअसल सोनभद्र में जिस जगह घटना हुई वहां धारा 144 लागू है और लोगों को वहां जाने की इजाजत नहीं है.


हिरासत में लिए गए प्रियंका गांधी समेत दस कांग्रेसियों को चुनार किले में रखा गया है. रातभर वह वहां बिना बिजली और बिना पंखे के रहीं. हालांकि वहअपनी जिद्द पर अड़ी रहीं कि वह पीड़ितों से मिलकर ही वापस जाएंगी. अब पीड़ित परिवार खुद गेस्ट हाउस प्रियंका गांधी से मिलने आया है.


क्या है पूरा मामला


सोनभद्र में घोरावल थाना क्षेत्र के उधा गांव में ग्राम प्रधान यज्ञदत्त ने एक आईएएस अधिकारी से खरीदी गई 90 बीघा जमीन पर कब्जे के लिए बड़ी संख्या में अपने साथियों के साथ पहुंचकर जमीन जोतने की कोशिश की. विरोध करने पर उसकी तरफ के लोगों ने स्थानीय ग्रामीणों पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं. इस वारदात में नौ लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी. एक घायल ने बाद में दम तोड़ दिया. 18 अन्य जख्मी हो गए. प्रशासनिक अधिकारी गुरुवार शाम लगभग पांच बजे मृतकों के शव लेकर उभ्भा गांव पहुंचे. शवों को देखते ही पूरे गांव में कोहराम मच गया. शवों को दफ़नाने के स्थान को लेकर प्रशासन एवं ग्रामीणों में विवाद की स्थिति पैदा हो गई. गांव वालों की मांग थी कि जहां गोली चली है, शवों को उसी ज़मीन में दफ़नाया जाए जबकि प्रशासन का कहना था कि परम्परागत स्थान पर ही दफ़नाया जाएगा. अंतत: देर रात मामले में गतिरोध समाप्त हो गया और अधिकारियों ने ग्रामीणों को उनकी जिद छोड़ने के लिए मना लिया.


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