लखनऊ: बीएसपी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन में 26 सीटों की बड़ी चर्चा है. इन सीटों पर रनर अप के बदले में दूसरी पार्टी को टिकट मिल गया है. ख़बर है कि लोकल समीकरणों के हिसाब से मायावती और अखिलेश यादव ने अदला बदली का फ़ैसला किया है.


समाजवादी पार्टी और बीएसपी के बीच फ़ार्मूला तो कुछ और तय था लेकिन सीटों के बँटवारे की लिस्ट आई तो कहानी कुछ और निकली. जब गठबंधन पर बातचीत शुरू हुई तो ये माना गया था कि पिछले चुनाव में जिस जगह पर जो पार्टी दूसरे नंबर पर थी वो सीट उसके हिस्से में आएगी.


इस हिसाब से नोएडा यानी गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र से एसपी नेता को चुनाव लड़ना चाहिए लेकिन ये सीट बीएसपी को मिल गई. मायावती ने सतवीर नागर को टिकट भी दे दिया. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों हुआ. स्थानीय और जातीय समीकरण के हिसाब से बीएसपी ही बीजेपी को चुनौती दे सकती है.


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एससी और गुर्जर बिरादरी का इलाक़े में दबदबा है. इसीलिए मायावती ने ये सीट अपने पास रख ली. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा चुनाव जीते थे. एसपी से नरेन्द्र भाटी दूसरे नंबर पर बीएसपी के सतीश कुमार तीसरे नंबर पर थे.


दोनों में एक लाख बीस हज़ार वोटों का अंतर था. नोएडा की तरह ही हरदोई का भी मामला है. पिछले चुनाव में बीएसपी यहाँ से रनर अप थी लेकिन बँटवारे में ये सीट एसपी को मिल गई. सूत्र बताते हैं कि अच्छा उम्मीदवार होने के कारण ये सीट एसपी के खाते में चली गई.


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अदला बदली के कारण ही सीटों के बँटवारे की लिस्ट जारी करने में डेढ़ महीना लग गया. मायावती और अखिलेश के क़रीबी नेताओं की मानें तो बहुत सोच समझ कर ऐसा किया गया. आपस में सीटें बदलने के लिए स्थानीय समीकरण, उम्मीदवार से लेकर विरोधी बीजेपी की ताकत का भी ख़याल रखा गया.


अब जैसे पूर्वांचल की ग़ाज़ीपुर लोकसभा क्षेत्र को ही ले लें. पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी यहाँ रनर अप थी. रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा यहाँ से बीजेपी के उम्मीदवार थे लेकिन इस बार ये सीट बीएसपी को मिल गई जबकि पिछले चुनाव में तो पार्टी तीसरे नंबर पर थी.


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मायावती यहां से बाहुबली नेता मुख़तार अंसारी के बड़े भाई अफ़जाल अंसारी को चुनाव लड़वाना चाहती थीं इसीलिए ये सीट बीएसपी के खाते में चली गई. ऐसा ही मामला अमरोहा लोकसभा क्षेत्र का भी है. 2014 के चुनाव में एसपी को बीएसपी से 2 लाख अधिक वोट मिले लेकिन गठबंधन में ये सीट मायावती ने ले ली.


स्थानीय राजनैतिक समीकरण के कारण ये अदला बदली हुई. इस तरह से बीएसपी को 12 ऐसा लोकसभा सीटें मिल गईं, जहाँ पिछले चुनाव में एसपी रनर अप थी. इस फ़ार्मूले में समाजवादी पार्टी को भी 14 लोकसभा क्षेत्र मिल गए जहाँ पिछली बार बीएसपी दूसरे नंबर पर थी. 2014 में जिन छह सीटों पर कांग्रेस रनर अप थीं, उनमें से सिर्फ़ सहारनपुर पर बीएसपी चुनाव लड़ेगी जबकि बाकी सीटें एसपी को मिली हैं.