मुरादाबाद मंडल की सभी 6 सीटों पर गठबंधन का कब्जा, खाता तक नहीं खोल पाई बीजेपी
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और रालोद गठबंधन कोई खास करिश्मा भले ही नहीं कर पाया हो लेकिन यूपी का एक मंडल ऐसा भी है जहां बीजेपी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई.
मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और रालोद गठबंधन कोई खास करिश्मा भले ही नहीं कर पाया हो लेकिन यूपी का एक मंडल ऐसा भी है जहां बीजेपी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई और सभी सीटों पर सपा बसपा के गठबंधन ने जीत हासिल की. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल से लोकसभा चुनाव में बीजेपी का पूरी तरह सफाया हो चुका है जबकि इसी मुरादाबाद मंडल में 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मोदी लहर के चलते यहाँ की सभी 6 लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त की थी. लेकिन इस बार 2019 के लोक चुनाव में ऐसा क्या हुआ जिस से यहाँ बीजेपी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई और उसके सभी 6 प्रत्याशी हार गये जिनमे 4 मौजूदा सांसद थे और 2 मौजूदा सांसदों के टिकट काट कर पार्टी ने नये प्रत्याशी मैदान में उतारे थे जिनमें फिल्म अभिनेत्री जयप्रदा भी शामिल थीं और वो भी रामपुर से चुनाव हार गयीं.
मुरादाबाद मंडल की सभी 6 लोकसभा सीटों पर जीता सपा बसपा गठबंधन
इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद मंडल की सभी 6 लोकसभा सीटों पर गठबंधन प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है. बात करें मुरादाबाद लोकसभा सीट की तो यहाँ समाजवादी पार्टी के डॉ सैय्यद तुफैल हसन ने 97878 वोटों से बीजेपी के मौजूदा सांसद कुंवर सर्वेश कुमार को हरा कर जीत हासिल की है. जबकि पिछली बार यहाँ से बीजेपी के टिकट पर कुंवर सर्वेश कुमार ने 87504 वोटों से समाजवादी पार्टी के ही सैय्यद तुफैल हसन को हरा दिया था और पहली बार इस सीट पर बीजेपी को जीत दिलाई थी इसलिए पार्टी ने भीं दोबारा उन्हीं पर भरोसा जताया और प्रत्याशी बनाया था लेकिन इस बार वो हार गए.
यही हाल बिजनौर जनपद की नगीना लोकसभा सीट पर हुआ. यहाँ इस बार बहुजन समाज पार्टी के गिरीश चन्द्र ने जीत हासिल की है उन्होंने बीजेपी के मौजूदा सांसद डॉ यशवंत सिंह को 1,66,832 मतों से हराया है. पिछली बार यहाँ से बीजेपी के यशवंत सिंह ने ही जीत हासिल की थी लेकिन इस बार वो अपनी कुर्सी गंवा बैठे.
बिजनौर लोकसभा सीट पर भी बीजेपी का यही हाल हुआ. यहाँ भी इस बार बहुजन समाज पार्टी के मलूक नगर ने जीत हासिल की है उन्होंने बीजेपी के मौजूदा सांसद भारतेंदु सिंह को 71036 वोटों से हराया है. इस सीट पर पिछली बार बीजेपी के भारतेंदु सिंह ने दो लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी लेकिन इस बार वो भी अपनी सीट बचा पाने में नाकाम रहे.
अमरोहा लोकसभा सीट पर बीजेपी के मौजूदा सांसद को बसपा प्रत्याशी से करारी शिकस्त मिली. यहाँ बहुजन समाज पार्टी के कुंवर दानिश अली ने बीजेपी के मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर को 63248 मतों से हरा दिया और जीत हासिल कर ली. जबकि पिछली बार कंवर सिंह तंवर ने इस सीट पर सपा की हुमैरा अख्तर को 158214 वोटों से हरा कर बड़ी जीत हासिल की थी.
संभल लोकसभा सीट की बता करें तो यहाँ पिछली बार बीजेपी के सतपाल सिंह सैनी ने जीत हासिल की थी लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था और बसपा में लम्बे समय तक रहे पूर्व एमएलसी परमेश्वर लाल सैनी को टिकट देकर मैदान में उतार दिया. पार्टी को उम्मीद थी की मौजूदा सांसद का टिकट काट कर बिरादरी के आंकड़े को देखते हुए सैनी की जगह सैनी को ही टिकट देकर वो इतिहास दोहरा लेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इस बार यहाँ समाजवादी पार्टी के डॉ शफीकुर्रहमान बर्क ने 171275 वोटों से बीजेपी के परमेश्वर लाल सैनी को हरा कर बड़ी जीत हासिल की है जबकि पिछली बार डॉ शाफीकुर्रहमान बर्क बीजेपी के सतपाल सैनी से महज़ 5174 वोटो से चुनाव हार गये थे.
जयप्रदा भी हार गईं
अब बात की जाये रामपुर लोकसभा सीट की तो ये सीट हमेशा सुर्ख़ियों रहती है. सपा नेता आजम खान, बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी यहां से जुड़े हैं तो वहीं कांग्रेस नेता और रामपुर नवाब घराने की बहू बेगम नूर बानो भी यहीं से जुड़ी हैं. साथ ही जयाप्रदा का नाम भी बतौर नेता यहां से जुड़ा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में रामपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी के डॉ नेपाल सिंह ने जीत हासिल की थी लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट कर जयप्रदा को दे दिया था. जयप्रदा का सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आज़म खान से हुआ जिसमें आज़म खान ने जयप्रदा को एक लाख से अधिक वोटों से हरा दिया.
ये रही बड़ी वजह
इस तरह इस बार के चुनाव में मुरादाबाद मंडल की 6 की 6 लोकसभा सीटें बीजेपी ने गंवा दी हैं जबकि पिछले लोकसभा चुनावों में इन सभी सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. जानकारों की माने तो मुरादाबाद मंडल में बीजेपी को बड़ा नुकसान होने की दो बड़ी वजह रही हैं. यहाँ बीजेपी के मौजूदा सांसदों के काम से जनता में नाराजगी बताई जाती है. शायद पार्टी को इस का आभास हो चुका था और उसने इसी वजह से संभल और रामपुर के अपने मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया था. दूसरी वजह ये रही की इन सभी सीटों पर सपा और बसपा के वोटरों की संख्या ख़ासी बड़ी है और गठबंधन हो जाने से दोनों का वोट जुड़ गया.