नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी (एसपी) प्रमुख अखिलेश यादव आज लखनऊ में साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. जहां उत्तर प्रदेश में बीजेपी से मुकाबले के लिए गठबंधन का एलान संभव है. एसपी-बीएसपी ने कांग्रेस को गठबंधन में जगह नहीं दी है. सूत्रों के मुताबिक, बीएसपी-एसपी दोनों पार्टियां लोकसभा चुनाव में 37-37 सीटों पर लड़ सकती है. सूबे में लोकसभा की 80 सीटें है.


बाकी छह सीटें छोटे दलों के लिए छोड़ी गई है. हालांकि छोटे दल कम सीटों की संभावना से नाराज हैं. अजित सिंह की पार्टी कम से कम चार सीटों की मांग पर अड़ी है और एसपी-बीएसपी गठबंधन तीन सीटों से ज्यादा देने के लिए तैयार नहीं है. वहीं दोनों दलों ने अमेठी और रायबरेली सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है. अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद हैं.


कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी के साथ महागठबंधन बनाकर लड़ने की उम्मीद में थी. लेकिन तमाम सिसायी नफा-नुकसान के आंकलन के बाद दोनों दलों ने कांग्रेस को जगह नहीं दी. कांग्रेस ने इसे बेहद खतरनाक गलती बताया है.


कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एसपी-बीएसपी का नाम लिए बगैर कहा, ''मैं नहीं समझता कि कोई भी कांग्रेस की व्यापक क्षमता, विरासत, इतिहास और पहचान की उपेक्षा कर सकता है. अगर कोई उपेक्षा करने की भूल करता है तो मुझे लगता है कि बहुत बड़ा राजनीतिक खतरा मोल ले रहा है. हमारी उपेक्षा करना खतरनाक भूल होगी.''


इसी सप्ताह एक साक्षात्कार में राहुल गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में एक मजबूत ताकत बनकर उभरेगी. उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस की परिकल्पना काफी मजबूत है. इसलिए, हमें उत्तर प्रदेश में अपनी क्षमता पर पूरा भरोसा है. हम लोगों को चकित कर देंगे. हम एक बार फिर बस यही कहना चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कम करके आंकना भूल होगी."


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कांग्रेस ने शुरू की तैयारी
एसपी-बीएसपी गठबंधन में जगह नहीं मिलने की स्थिति में कांग्रेस उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है. इसी के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष प्रदेश में जोरदार चुनावी अभियान करने जा रहे हैं. राहुल गांधी फरवरी में उत्तर प्रदेश में 10 जनसभाओं को संबोधित करने वाले हैं. यूपी के नेताओं को रैली का खाका तैयार करने को कहा गया है. इस संबंध में कल बैठक हुई. आज दिल्ली में बैठक बुलाई गई है.


अखिलेश की चुनौती
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कन्नौज में ट्विटर चौपाल में कहा कि हमारे साथ आने पर बीजेपी के साथ कांग्रेस के अंदर भी भय व्याप्त है. एसपी-बीएसपी जब पहले साथ आई तो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप-मुख्यमंत्री केशव मौर्य अपने-अपने क्षेत्र में उप-चुनाव हार गए. अब यही ताकत लोकसभा चुनावों में भी परचम फहराएगी.


अखिलेश का दावा कितना सही
एबीपी न्यूज़ के हालिया सर्वे पर गौर करें तो एसपी-बीएसपी गठबंधन 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में 50 सीटें जीत सकती है. वहीं एनडीए के खाते में 28 सीटें जा सकती है. कांग्रेस पिछली बार की तरह की मात्र दो सीटों पर सिमट सकती है. यूपी में एनडीए में बीजेपी, अपना दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी शामिल है. हालांकि बीजेपी की दोनों पार्टियां भी नाराज है.


2014 के लोकसभा चुनाव में एसपी, बीएसपी और कांग्रेस तीनों पार्टियां अलग-अलग होकर चुनाव लड़ी थी. मोदी लहर ने समाजवादी पार्टी मात्र पांच और कांग्रेस दो सीट जीत पायी थी. मायावती की बीएसपी तो खाता खोलने में भी नाकामयाब रही. इससे पहले 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 22 सीटों पर जीत हासिल की थी.


अमित शाह का रसायन शास्त्र
एसपी-बीएसपी के बीच गठबंधन की चर्चाओं को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ढकोसला करार दिया है. उन्होंने कल कहा, "यह महागठबंधन एक ढकोसला है. हर कोई अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहा है. हमने उनको 2014 में हराया और अब फिर पराजित करने का वक्त आ गया है. राजनीति भौतिकी नहीं है, बल्कि रसायन शास्त्र है, जिसमें दो यौगिक जब मिलते हैं तो उनसे अनपेक्षित परिणाम आते हैं. वे अपने निजी हित और सत्ता के लिए एकजुट हुए हैं. यह ऐसा संग्राम है, जिसका असर आने वाली सदियों तक देखने को मिलेगा. इसलिए इसमें विजय हासिल करना जरूरी है."


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