नई दिल्ली/लखनऊ: आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर एसपी-बीएसपी के मिल कर चुनाव लड़ने पर दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व के बीच 'सैद्धांतिक सहमति' बन गयी है. अब सीटों के बंटवारे को लेकर एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बीएसपी प्रमुख मायावती के बीच अगले दौर की बैठक दस जनवरी के बाद हो सकती है.


एसपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने शनिवार को बताया कि गठबंधन को लेकर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बीएसपी प्रमुख मायावती के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है. इस कड़ी में शुक्रवार को भी दोनों नेताओं के बीच दिल्ली में मुलाकात हुई थी.


उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर 'सैद्धांतिक सहमति' बन चुकी है और उम्मीद है कि इस गठजोड़ की औपचारिक घोषणा जल्द होगी. सम्भावना है कि इसी महीने इसका एलान हो जाएगा.


अखिलेश-मायावती मुलाकात को लेकर हालांकि बीएसपी की ओर से आधिकारिक पुष्टि नहीं की गयी है. इस बीच एसपी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने अखिलेश और मायावती की मुलाकात से अनभिज्ञता जताते हुये कहा कि अखिलेश और मायावती ही गठबंधन की रूपरेखा तय कर इसकी अंतिम घोषणा ही करेंगे.


यादव ने हालांकि प्रस्तावित एसपी बीएसपी गठजोड़ में कांग्रेस को दरकिनार किये जाने को ‘काल्पनिक बात’ बताते हुये खारिज कर दिया.


कांग्रेस को गठबंधन में शामिल किये जाने की सम्भावना पर चौधरी ने कहा कि इसका निर्णय तो अखिलेश और मायावती ही लेंगे. बहरहाल, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिये क्रमशः अमेठी और रायबरेली सीटें छोड़ी जाएंगी.


उल्लेखनीय है कि दिल्ली स्थित मायावती के आवास पर शुक्रवार को अखिलेश से साथ लगभग ढाई घंटे तक चली बैठक में दोनों दलों द्वारा 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति बन गयी है. छह सीट कांग्रेस, रालोद और अन्य के लिये छोड़ी गयी हैं.


इस बीच कांग्रेस ने एसपी-बीएसपी के बीच 37 -37 सीट पर चुनाव लड़ने पर सहमति बनने के बाद उत्तर प्रदेश में अकेले ही चुनाव लड़ने के संकेत दिये हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी एल पुनिया ने एसपी बीएसपी गठजोड़ के बारे में कहा कि दोनों दल अपने फैसले करने के लिये स्वतंत्र है, कोई किसी के साथ जबरन समझौता नहीं कर सकता है. जहां तक उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सवाल है तो पार्टी पहले से ही बहुत अच्छे से चुनाव लड़ने की तैयारी में है. हम अकेले चुनाव लड़ने के लिये तैयार हैं.


वहीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने एसपी बीएसपी गठबंधन के बारे में कहा कि इस बारे में अभी जो भी खबरें आ रहीं हैं वे सूत्रों पर आधारित हैं. जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि पार्टी नेतृत्व इस बारे में जनता की इच्छा के मुताबिक फैसला करेगा.


एसपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि शनिवार को अखिलेश ने लखनऊ रवाना होने से पहले पार्टी सांसद धर्मेंद्र यादव से मुलाकात कर सीटों के बटवारे पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि अखिलेश और मायावती की अगली बैठक दस जनवरी के बाद प्रस्तावित है. यह बैठक लखनऊ या दिल्ली में हो सकती है.


उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं के बीच मजबूत जनाधार वाले इलाके की सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने पर भी सहमति बन गयी है. इस आधार पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अधिकांश सीटों पर बीएसपी और पूर्वांचल में अधिकतर सीटों पर एसपी के उम्मीदवार उतारने पर दोनों दल सहमत हैं. वहीं बुंदेलखंड की चार में से दो-दो सीटों पर दोनों दल चुनाव लड़ेंगे.


उल्लेखनीय है कि 16वीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश से बीजेपी के 68, एसपी के सात, कांग्रेस और अपना दल के दो दो तथा रालोद का एक सांसद है. पिछले चुनाव में बीएसपी 19.77 फीसद वोट हासिल करने के बावजूद एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.


गठबंधन के स्वरूप के बारे में चौधरी ने कहा कि कुछ छोटे दलों को भी गठबंधन में शामिल करने के लिये बात हो रही है. एसपी प्रवक्ता ने स्वीकार किया कि गठबंधन में शामिल करने के लिये पश्चिमी उत्तर प्रदेश में असर रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) से भी बातचीत हो रही है.


मालूम हो कि एसपी और बीएसपी के बीच गठबंधन के बीज पिछले साल गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के दौरान ही पड़ गये थे. इन दोनों सीटों पर बीएसपी ने एसपी प्रत्याशियों को समर्थन दिया था और दोनों ही जगह उन्हें कामयाबी मिली थी. उसके बाद कैराना लोकसभा उपचुनाव में रालोद उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने एसपी के प्रत्यक्ष और बीएसपी के परोक्ष सहयोग से जीत हासिल की थी.


बीजेपी के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने एसपी बीएसपी गठबंधन पर सैद्धांतिक सहमति बनने के बारे कहा कि पिछले चुनाव में एसपी और कांग्रेस के शीर्ष परिवार के अलावा दोनों दलों को कोई सीट नहीं मिली थी. ऐसे में तीन शून्य का योग भी शून्य ही होता है.