हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहदुल मुस्लीमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बने समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन को ‘‘विरोधाभासों से भरा बताते हुए’’ कहा कि दोनों दलों ने अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए हाथ मिलाया है.


AIMIM भी यूपी में लड़ रही है चुनाव


ओवैसी ने दावा किया कि गठबंधन के तहत कांग्रेस जिन 105 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से 20 उम्मीदवार एसपी के हैं जो कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर मैदान में हैं. दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे के तहत एसपी 298 जबकि कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. ओवैसी की एआईएमआईएम भी उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ रही है.


ओवैसी ने पीटीआई से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘मूल रूप से यह विरोधाभासों से भरा है.’’ उन्होंने कहा कि गठबंधन का उद्देश्य अगर मुस्लिम वोट को मजबूत करना है तो 2014 के लोकसभा चुनाव में (उत्तर प्रदेश में) एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को जीत क्यों नहीं मिली.


खुद की कमजोरी छिपाने की कोशिश


ओवैसी ने कहा, ‘‘आपके (एसपी एवं कांग्रेस) वोट को क्या हुआ? इसलिए कांग्रेस और एसपी दोनों अपनी खुद की कमजोरी छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘(मुख्यमंत्री) अखिलेश यादव अपने कुशासन को ढंकने की कोशिश कर रहे हैं और वह अपने वादे पूरे करने में नाकाम रहे हैं.’’


हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘‘इसलिए उत्तर प्रदेश के लोग 2012 का (एसपी का) चुनाव घोषणापत्र और 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे तथा अपूर्ण वादों को याद करेंगे. मुसलमानों से किए गए आरक्षण के वादे का क्या हुआ? अखिलेश ने इसे आगे बढ़ाने के लिए एक भी समिति गठित नहीं की. लोग ये प्रासंगिक सवाल पूछेंगे.’’


खुद प्रेशर कुकर जैसी स्थिति में हैं एसपी


ओवैसी ने कल जारी किए गए एसपी के चुनाव घोषणापत्र में शामिल गरीब महिलाओं को प्रेशर कुकर देने के वादे की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘वह (अखिलेश) खुद प्रेशर कुकर जैसी स्थिति में हैं.’’ उन्होंने अखिलेश सरकार की उपलब्धियों पर लोगों के सवाल उठाने की तरफ संकेत करते हुए कहा, ‘‘प्रेशर कुकर बांटने की जगह एसपी की स्थिति खुद ही प्रेशर कुकर जैसी है.’’


ओवैसी ने आरोप लगाया कि 2002 के गुजरात दंगे के दौरान राज्य की तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार ‘‘(लोगों की) जिंदगी बचाने में नाकाम रही जो कि एक सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है और लोगों को गुजरात दंगों को नहीं भूलना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए अखिलेश सरकार के शासनकाल में हुए मुजफ्फरनगर दंगे को कोई कैसे भूल सकता है? इसलिए यह इन सभी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों (कांग्रेस) की समस्या है कि चाहते हैं कि हम मुजफ्फरनगर को भूल जाएं क्योंकि उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है.’’


समाज के गरीब वर्गों को छलने का शातिर औजार


ओवैसी ने कहा, ‘‘इसलिए उत्तर प्रदेश के लोग कभी भी मुजफ्फरनगर को नहीं भूलेंगे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह (अखिलेश) विकास की बात करते हैं लेकिन विकास कहां है? चाहे वह अल्पसंख्यक हों या दलित, विकास समाज के गरीब वर्गों को छलने का शातिर औजार बन गया है.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या उत्तर प्रदेश चुनाव मोदी सरकार के पिछड़े ढाई साल के प्रदर्शन का एक तरह का जनमत संग्रह होगा, ओवैसी ने कहा कि लोग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ही के प्रदर्शन को ध्यान में रखेंगे.