लखनऊ: उत्तर प्रदेश में करारी हार के बाद अब विरोधी पार्टियों के नेता बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की बात कर रहे हैं. मायावती के बाद अखिलेश यादव ने भी बीजेपी के खिलाफ गठबंधन की बात कह दी है. अब यूपी में मायावती औऱ अखिलेश साथ मिलकर 2019 में बीजेपी का मुकाबला करेंगे. यानी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मिशन 2019 को फेल करने के लिए दो दुश्मनों को हाथ मिलाना पड़ रहा है.


यूपी में महागठबंधन की तैयारी


सवाल है कि क्या ये बीजेपी के मिशन 2019 का डर है कि यूपी समेत सभी राज्यों में बीजेपी विरोधी गठबंधन की बातें तेज हो गई हैं. भुवनेश्वर में चल रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में बीजेपी ने 2019 के लिए कमर कस ली है. केंद्र में मोदी और यूपी में योगी एक्शन में है. मोदी और योगी की इस जोड़ी ने विरोधी दलों की चिंता बढ़ा दी है. जिससे पुराने वक्त के राजनीतिक दुश्मन भी अब साथ आने की बातें करने लगे हैं.


मायावती ने दिया था गठबंधन का प्रस्ताव


दो दिन पहले मायावती ने कहा था, ‘अपने देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए बीजेपी और ईवीएम की गड़बड़ी के विरुद्ध किए जा रहे संघर्ष में यदि बीजेपी विरोधी पार्टियां भी हमारे साथ आना चाहेंगी तो उनके साथ भी अब हमें हाथ मिलाने में कोई परहेज नहीं होगा.’’


मायावती ने बीजेपी को रोकने के लिए साथ विपक्षी दलों के साथ आने के संकेत दिए हैं तो तो के साथ आने को तैयार अखिलेश भी कुछ दिन पहले उनसे हाथ मिलाने को तैयार दिखे थे.


अखिलेश-मायावती हाथ मिलाने को तैयार


अखिलेश यादव का कहना है, ‘’हम तो हर एक का स्वागत करने वाले लोग हैं. हमने पहले भी स्वागत किया था, तब भी बहुत बड़ी खबर निकली थी. जब परिणाम उस समय नहीं आया था. हम तो अब भी तैयार हैं.’’


समय कम है, मुझे 2019 तक रिजल्ट देना है- योगी


अखिलेश और मायावती की इस जुगलबंदी की बड़ी वजह है यूपी के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मिशन 2019. हाल ही में योगी आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू में कहा था कि यूपी में समस्याएं बहुत ज्यादा हैं और समय कम है, क्योंकि मुझे 2019 में रिजल्ट देना है.


इसमें कोई शक नहीं कि योगी के कंधे पर जिम्मेदारी बड़ी है, क्योंकि 2014 में जब वो मुख्यमंत्री नहीं थे तब बीजेपी को यूपी की 80 में से 71 सीटें मिली थीं ऐसे में अब उन्हें इस आंकड़े को और आगे बढ़ाना होगा. लेकिन योगी की इस चुनौती से भी ज्यादा बड़ी चुनौती अखिलेश और मायावती की है, क्योंकि उनके लिए ये पार्टी के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई होगी.


चुनाव में एसपी, कांग्रेस, बीएसपी को कुल 73 सीटें


2017 विधानसभा चुनाव के नतीजो में जहां बीजेपी गठबंधन को 403 में से 325 सीटें मिलीं है. वहीं एसपी-कांग्रेस और बीएसपी तीनों की मिलाकर भी सिर्फ 73 सीटें ही हुईं. लेकिन वोट प्रतिशत की बात करें तो इस चुनाव में बीएसपी और समाजवादी पार्टी दोनों को ही करीब 22-22 फीसदी वोट मिले हैं और कांग्रेस को 6 फीसदी.


अगर ये तीनों पार्टियां साथ होतीं तो इनका कुल वोट प्रतिशत लगभग 50 फीसदी होता, जो बीजेपी के 40 फीसदी से कहीं ज्यादा होता. इसी तरह अगर हर सीट पर इन तीनों पार्टियों को मिलने वाले वोटों को जोड़ दिया जाए तो उस स्थिति में गठबंधन की 285 सीटों पर बढ़त दिख रही है. जबकि उस स्थिति में बीजेपी गठबंधन सिर्फ 118 सीटों पर सिमटता दिख रहा है. यानी यही वो गणित है जो विरोधी पार्टियों के नेताओं को भी साथ आने के लिए मजबूर कर रहा है.


यूपी में लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं. 2014 में बीजेपी गठबंधन ने यूपी की 80 में से 73 सीटें जीती थी. जबकि पूरे विपक्ष को सिर्फ 7 सीटें मिलीं थी और बीएसपी को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी.