यूपी में दूसरे चरण के मतदान से पहले अपराध बड़ा मुद्दा बन चुका है, लेकिन सत्ता बचाने के लिए जूझ रहे अखिलेश अपने ही एक विधायक पर लगे संगीन इल्जाम पर पर्दा डालने की कोशिश में हैं.
क्या ऐसा ही होता रहेगा ?
- तो क्या लड़की की हत्या के नामजद आरोपी विधायक की गिरफ्तारी नहीं होगी ?
- या पूरे इंतजाम के साथ तब गिरफ्तारी करवाई जाएगी जब आग ठंडी हो चुकी होगी ?
- ऐसे में क्या मान लिया जाए कि यूपी में अपराध ही बोलता रहेगा ?
- और एक के बाद एक पीड़ित इसी तरह खामोश होते रहेंगे ?
आरोप है कि गैंगरेप केस की हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले ही इस लड़की को हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया, हालांकि विधायक जी इसे राजनीतिक साजिश कह रहे हैं.
प्रिया का शव घर से 100 मीटर दूर एक सरकारी स्कूल के पीछे मिला था. प्रिया के साथ 18 सितंबर 2013 को गैंगरेप हुआ था. इस केस में विधायक समेत कुल आठ लोग आरोपी थे. विधायक और तीन अन्य को निचली अदालत से क्लीन चिट मिली थी, लेकिन हाईकोर्ट में 21 फरवरी को फिर सुनवाई होनी थी.
आरोपी विधायक अरुण वर्मा फिर चुनाव मैदान में है और अपनी सरकार के कमाए आंकड़ों से भी कदमताल मिला रहे हैं.