प्रवासी भारतीय लेंगे पानी में छनी इस अनोखी बनारसी इमरती का जायका
आम तौर पर इमरती, घी या रिफाइंड आयल में छानी जाने वाली मिठाई है, लेकिन प्रवासी भारतीयों के लिए खासतौर पर फैट फ्री और शुगर फ्री इमरती परोसी जाएगी.
वाराणसी: प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में भाग लेने विश्व की प्राचीनतम नगरी आ रहे एनआरआई मेहमानों का इंतजार एक विशेष स्वाद कर रहा है. आम तौर पर इमरती, घी या रिफाइंड आयल में छानी जाने वाली मिठाई है, लेकिन प्रवासी भारतीयों के लिए खासतौर पर फैट फ्री और शुगर फ्री इमरती परोसी जाएगी.
वैसे भी काशी अपने विशिष्ट देसी खान-पान के लिए प्रसिद्ध है और ऐसे में यह विशेष पानी में छाने जाने वाली इमरती प्रवासी भारतियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनने जा रही है. इसकी खासियत यह होगी कि इमारती का मजा मेहमान कैलोरी बढ़ने की चिंता किए बिना उठा सकेंगे.
इस इमरती को बनाने वाले शरद श्रीवास्तव के मुताबिक आज दुनिया भर में अधिकतर लोग डायबिटीज के बढ़ते प्रकोप के चलते ज्यादा मिठाई खाने से परहेज करते हैं. शरद का कहना है कि ऐसे ही लोगों को ध्यान में रखकर इस इमारती की रेसिपी तैयार की गई है.
शरद ने बताया कि अमूमन इमारती घी या तेल में छानने के बाद चाशनी में डुबोई जाती है, जिससे उसमें शुगर और कैलोरी बढ़ जाती है. लेकिन उन्होंने इस समस्या को इमारती पानी में छानकर दूर कर दिया है. इसके लिए जो मटेरियल इस्तेमाल होता है, वह है मक्खन. इस मक्खन की इमरती को आग पर नहीं बल्कि बर्फ के पानी में छाना जाता है. मक्खन से बनी इमरती को जब बर्फीले पानी में डाला जाता है तो वह जमकर अपने स्वरुप को बरकार रखती है.
इसको बनाने वाले कारीगर रामा यादव बताते हैं कि इसमें मिठास लाने के लिए चीनी की जगह मिश्री का उपयोग होता है. बर्फीले पानी के कम तापमान के चलते मक्खन जम जाता है और शुद्ध इमरती बिना तेल घी के तैयार हो जाती है.
इमारती के तैयार होते समय दुकान पर आई निधि सिंह ने इस इमरती का स्वाद लिया और इसकी तारीफ करते नहीं थकीं. उन्होंने कहा कि इसमें स्वाद तो भरपूर है ही, साथ में खाते वक्त ज्यादा कैलोरी की चिंता भी नहीं हुई. उनका मानना है कि प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में आने वाले हेल्थ कांशस लोगों के लिए ये एक बेहतरीन और स्वादिष्ट मिठाई साबित होगी.