नई दिल्ली: अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए आज श्रीश्री रविशंकर पक्षकारों से मिलने वाले हैं, लेकिन मुलाकात से पहले ही फॉर्मूले को लेकर सवाल उठाये जाने लगे हैं. बता दें कि श्री श्री रविशंकर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की थी. (यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर)


मंदिर मुद्दे को सुलझाने की कोशिश में खुद पहल कर श्री श्री रविशंकर आज अयोध्या जा रहे हैं. उससे पहले लखनऊ में हिंदू पक्षकारों से उनकी मुलाकात भी हुई है. यहीं उनके करीबी अमरनाथ मिश्र ने एबीपी न्यूज को श्री श्री के फॉर्मूले के बारे में कुछ संकेत दिए हैं.


रामलला को कतई हटने नहीं देंगे- अमरनाथ मिश्र


अमरनाथ मिश्र ने कहा, ‘’रामलला जहां बैठे हैं वहां से रामलला को कतई हटने नहीं देंगे.’’ मिश्रा ने आगे कहा, ‘’योगी जी केवल आठ महीने पहले सीएम बने हैं और उन्होंने बहुत पॉजिटिव बातें की हैं. हम चाहते हैं कि विहिप, आरएसएस, शिवसेना या जितने भी हिन्दू संगठन हैं वे सभी एकजुट हो जाएं और जब तक मंदिर का भव्य भूमिपूजन नहीं हो जाता तब तक बातचीत का दौर चलता रहेगा.’’ (यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर)


मुसलमान बाबरी मस्जिद से अपना दावा वापस ले, ये मुमकिन नहीं- जफरयाब जिलानी 


श्रीश्री का पूरा फॉर्मूला सामने आना बाकी है. लेकिन मामले में पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने श्रीश्री की पहल को खारिज कर दिया है. बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा है, ‘’मुसलमान बाबरी मस्जिद से अपना दावा वापस ले लें तो ये मुमकिन नहीं है. सरियत में मुसलमान को इसका हक ही नहीं है.’’ इस केस में दूसरे पक्षकार रामलला विराजमान के कर्ताधर्ता वीएचपी भी श्रीश्री के फॉर्मूले के साथ नहीं है.


सुप्रीम कोर्ट में है ये मामला


2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक फैसला दिया था. इसमें तीनों पक्षों को जमीन का बराबर हिस्सा दिया गया था. सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला तीन पक्षकार हैं. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पक्षकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि बाहर की कोई राय बन जाए. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पांच दिसंबर से इस मामले की रोज सुनवाई करेगा.