जम्मू कश्मीर: श्रीनगर के नवाकदल हुई एक मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया. ऑपरेशन रात एक बजे शुरू किया गया था और कई घंटो तक जारी रहा. मारा गया एक आतंकी हुर्रियत के सय्यद अली गिलानी गुट के प्रमुख अशरफ सहराई का 26 साल का बेटा है, जिसका नाम जुनैद सहराई बताया गया है. 15 घंटे चली मुठभेड़ में जुनैद के अलावा उसका एक साथी भी मारा गया. मारे गए दोनों आतंकी हिज्बुल मुजाहिदीन से थे.
जम्मू कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार के अनुसार मुठभेड़ आज सुबह तड़के उस समय शुरू हुई, जब सुरक्षाबलों ने एक ख़ुफ़िया जानकारी के आधार पर श्रीनगर के पुराने शहर के नवाकदल इलाक़े में एक घर को घेरे में लिया. अंदर छुपे हुए आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड फेंका और फ़ायरिंग कर दी, जिसमें सीआरपीएफ के चार और जम्मू कश्मीर पुलिस का एक जवान ज़ख़्मी हुआ. आतंकियों ने इसी अफरा तफरी का फायदा उठाकर अपने ठिकाने से निकल कर एक दूसरे घर में पनाह ली. सुरक्षाबलों के लिए इस बात से भी मुश्किल बढ़ गई थी कि जिस इलाके में मुठभेड़ चल रही थी, वह बहुत ज्यादा घनी आबादी वाला है और घर एक दूसरे के काफी करीब हैं.
सभी एहतियात बरतते हुए सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन चलाया और जवाबी कार्रवाई में 15 घंटे तक चली मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दोनों आतंकियों को मार गिराया. मुठभेड़ शुरू होते ही पूरे श्रीनगर में मोबाइल इन्टरनेट बंद कर दी गई और सुबह होते होते बीएसएनएल को छोड़ कर बाकी सभी मोबाइल सेवाओ को बंद कर दिया गया.
कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक शवों को घर वालों को नहीं सौंपा जाएगा. करीब दो साल के बाद श्रीनगर में यह पहली मुठभेड़ हुई है.
रियाज़ नायकू के बाद हिज्बुल को दूसरा झटका
रियाज़ नायकू के 6 मई को एनकाउंटर में मारे जाने के बाद हिज्बुल मुजाहिद्दीन के लिए ये एक दूसरा बड़ा झटका है. जहां रियाज़ हिज्बुल में मई 2012 में शामिल हुआ था, वहीं जुनैद मार्च 2018 में हिज्बुल के साथ जुड़ा. दोनों ही बहुत पढ़े लिखे थे. रियाज़ गणित विषय में पोस्ट ग्रैजुएट था तो जुनैद कुरुक्षेत्र से एमबीए और दोनों ही कश्मीर में युवाओं को हिज्बुल के साथ जोड़ने में एक मैगनेट की तरह काम कर रहे थे.
जुनैद 2017 में MBA की पढ़ाई करके नौकरी की तलाश में था, लेकिन अचानक मार्च 2018 को वह एक दिन गायब हो गया और फिर सोशल मीडिया के ज़रिये एक तस्वीर जारी कर उसने अपने हिज्बुल में शामिल होने की घोषणा कर दी थी.
जुनैद उस समय हिज्बुल में शामिल हुआ जब बड़ी संख्या में पढ़े लिखे युवा आतंक के रास्ते चल पड़े थे, जिन में एमयू के स्कॉलर मन्नान वाणी और कश्मीर युनिवर्सिटी में सोशियोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रफ़ी भी शामिल हुए.
लेकिन जुनैद ने हिज्बुल में शामिल होने के बाद, केवल प्रोपेगैंडा का काम ना करते हुए कई आतंकी वारदात को अंजाम दिया. श्रीनगर और आस पास के इलाकों में पुलिस कर्मियों पर कई हमले करके उनसे हथियार छीने और सुरक्षाबलों के खिलाफ कई ऑपरेशन में शामिल भी हुआ. इसीलिए जुनैद को कुछ दिनों के अंदर ही श्रीनगर और बडगाम का कमांडर बनाया गया.
जहां कुछ दिन पहले तक जुनैद के रियाज़ नायकू की जगह हिज्बुल के कमांडर बनने की बात चल रही थी, लेकिन नायकू के एनकाउंटर के 13 दिन बाद आज दो साल से कुछ ज्यादा समय तक सक्रिय रहने के बाद आज उसके आतंक के करियर का अंत हो गया.