प्रयागराज (मोहम्मद मोइन). यूपी में उनहत्तर हज़ार शिक्षक भर्ती घोटाले के मास्टर माइंड बीजेपी नेता चन्द्रमा सिंह यादव अब भी जांच एजेंसी एसटीएफ की पकड़ से दूर हैं. शातिर किस्म का चन्द्रमा फरारी के दौरान न तो मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा है और न ही अपने बैंक खातों से कोई लेन-देन कर रहा है. पिछले तीन हफ़्तों से नाकामी झेल रही एसटीएफ अब इस बीजेपी नेता पर ईनाम घोषित कर उसके पोस्टर जारी करने की तैयारी में है. इतना ही नहीं ईनाम घोषित करने के बाद एसटीएफ उसे भगोड़ा भी घोषित करेगी. वैसे प्रयागराज पुलिस से जांच मिलने के बाद एसटीएफ अब तक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है. न तो वह किसी भी आरोपी को गिरफ्तार कर सकी है और न ही कोई नए तथ्य सामने ला सकी है. ऐसे में तेज़ तर्रार और पेपर लीक जैसे मामलों की एक्सपर्ट मानी जाने वाली एसटीएफ की कार्यप्रणाली अब सवालों के घेरे में है.


बीजेपी का रसूखदार नेता है मुख्य आरोपी चंद्रमा यादव


गौरतलब है कि यूपी के प्राइमरी स्कूलों में उनहत्तर हज़ार शिक्षक भर्ती मामले में पैसे लेकर पास कराने के आरोप में प्रयागराज पुलिस ने प्रतापगढ़ के अभ्यर्थी राहुल सिंह की शिकायत पर केस दर्ज जांच शुरू की थी. प्रयागराज पुलिस ने इस मामले में मास्टरमाइंड डा० केएल पटेल और दो टॉपर्स समेत ग्यारह लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इतना ही नहीं पुलिस ने यूपी के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के प्रतिनिधि रहे बीजेपी नेता चन्द्रमा सिंह यादव को भी इस मामले में आरोपी बनाया था. प्रयागराज पुलिस ने यह सारी कार्रवाई चार दिन में कर ली थी. भर्ती घोटाले का मामला सियासी गलियारों में गूंजने के बाद यूपी सरकार ने नौ जून को जांच प्रयागराज पुलिस से वापस लेकर एसटीएफ को सौंप दी थी. इसके साथ ही हफ्ते भर में तत्कालीन एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज को हटाने पर भी खूब कोहराम मचा था.


बीजेपी नेता चन्दमा सिंह यादव सूबे के कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ का प्रतिनिधि रह चुका है. उसकी गिनती प्रयागराज में बीजेपी के रसूखदार नेताओं में होती है. चन्द्रमा यादव बीजेपी में महानगर उपाध्यक्ष के साथ ही किसान मोर्चे की प्रदेश कार्य समिति का सदस्य भी रह चुका है. वह एक इंटर कालेज का प्रबंधक भी है.


अपने कालेज पंचमलाल आश्रम इंटर कालेज को वह रसूख का इस्तेमाल कर तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं का सेंटर बनवाता था और वहीं से पेपर लीक कराकर अपने गिरोह को देता था. टीईटी पेपर लीक मामले में वह पांच महीने तक जेल में रह चुका है. वैसे एसटीएफ को जांच सौंपने और चन्द्रमा को गिरफ्तार नहीं किये जाने पर विपक्षी पार्टियां लगातार सवाल उठा रही हैं. वह एसटीएफ पर सरकार के दबाव में काम करते हुए मामले की लीपापोती का आरोप भी लगा रही है.


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