देवरिया: 10 साल की एक बच्ची पिछले तीन साल से देवरिया की उसी संस्था में रह रही थी जिस पर गंभीर आरोप लगे हैं. ये बच्ची यहां झाड़ू-पोछा करती थी, बर्तन मांजती थी और अगर कोई गलती हो जाती थी तो उसे पीटा जाता था.


उसकी आखों के सामने बड़ी गाड़ियां आती थीं जिनमें जबरन उन लड़कियों के भेजा जाता था जिनकी उम्र 15 से 18 साल होती थी. ये गाड़ियां शाम चार बजे आती थीं और लड़कियों को ले जाती थीं, अगले दिन सुबह छह बजे से लड़कियां वापस आती थीं.



इन लड़कियों की आंखें आंसुओं से भरी होती थीं, रो-रो कर सूज जाती थीं लेकिन 'दीदी' रोती क्यों हैं, उस मासूम को समझ नहीं आता था. वो बालसुलभ हठ के चलते पूछती थी तो कोई जवाब नहीं मिलता था, लेकिन उसे पता था कि कुछ बुरा हो रहा है.

उसके सब्र का बांध टूट रहा था, वो ये सब देख-देख कर परेशान थी, गुस्से में थी, फिर रविवार की शाम को बालिका गृह से बाहर निकल गई. उसे पता भी नहीं था कि उसे जाना कहां है. चलते चलते उसे पुलिस थाना दिखा तो वो अंदर घुस गई.



थोड़ी देर पहले ही इस महिला थाने में एसओ आकर बैठी थीं. उन्होंने बच्ची की कहानी सुनी तो हिल गईं, सीधे एसएसपी को फोन मिला दिया. एसएसपी ने पूरा जोर लगा दिया, सभी संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली और फिर छापा मार दिया.

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10 साल की बहादुर बेटी ने 24 और बेटियों को छुड़ा लिया. एसएसपी रोहन पी कनय ने जब प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो इस बहादुर बेटी की कुर्सी अपने साथी लगवाई. वहां इस बच्ची ने बताया कि कभी सफेद, कभी काली और कभी लाल गाड़ी दीदी लोग को ले जाती थी. अगले दिन दीदी लोग आती तो बहुत रोती थी.

अपने साथ रहने वाली इन लड़कियों के आंसू देख कर मासूम का डर, हिम्मत में बदल गया. उसने बालिका गृह की सरहद को लांघने का फैसला कर लिया. उसकी सूझबूझ और हिम्मत ने देश को वो सच दिखाया जिसने सभी की हिला कर रख दिया.