लखनऊ: दो आंखें और बारह हाथ, यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रदेश को ये बताने की एक कोशिश है कि आने वाले दिनो में प्रदेश की सुरक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े सवालों का क्या होने वाला है ? ऑपरेशन मजनू का क्या होगा ? भूमाफियाओं का क्या होगा ? बदहाल अस्पतालों का और आम आदमी की परेशानी से भरी शिकायतों का क्या होगा ?


यूपी की कानून व्यवस्था सुधारने में जुटे योगी


सबसे पहले कानून व्यवस्था संभालने के लिए लगाए गए दो सबसे बड़े हाथों की बात करते हैं. ये उत्तर प्रदेश के डीजीपी सुलखान सिंह हैं जो जाविद अहमद की जगह नए पुलिस प्रमुख बनाए गए हैं. पूरे यूपी की पुलिस इन्हीं के जिम्मे है और कानून व्यवस्था बनाए रखना इनका काम है.


राज्य के सबसे अनुभवी पुलिस अधिकारी भी हैं सुलखान


योगी सरकार में सबसे पहले बात कानून-व्यवस्था की होती रही है. इसी भरोसे पर बीजेपी सत्ता में आई है इसलिए जब योगी आदित्यनाथ ने सबसे बड़े अधिकारी का चुनाव काफी जांच-परखकर किया. सुलखान अपनी सख्ती के लिए तो मशहूर हैं ही. राज्य के सबसे अनुभवी पुलिस अधिकारी भी हैं. सुलखान के पास अपराधियों के साथ-साथ कानून में हाथ लेने वाले उपद्रवियों से निपटना सबसे बड़ी चुनौती है.

सितंबर में रिटायर हो जाएंगे सुलखान


1980 बैच के आईपीएस अधिकारी सुलखान यूपी में बुंदेलखंड के बांदा के रहने वाले हैं और इसी साल सितंबर में रिटायर हो जाएंगे. आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग करके सुलखान ने लॉ की डिग्री भी ली है.

उत्तर प्रदेश के सबसे सीनियर आईपीएस सुलखान की जगह उनसे चार साल जूनियर जाविद अहमद को डीजीपी बना दिया गया था. ये वही सुलखान सिंह जिन्होंने आईजी रहते मुलायम राज में हुए पुलिस भर्ती घोटाले की जांच करके सच उजागर किया था.


पिछले दो सालों से DGP ट्रेनिंग के पद पर तैनात थे सुलखान


पैसे लेकर जाति विशेष की भर्ती की शिकायत पर मायावती सरकार ने जांच बिठाई थी. तत्कालीन सीनियर आईपीएस शैलजाकांत मिश्र की अध्यक्षता में बनी कमेटी में सुलखान सदस्य थे. कमेटी की सिफारिशों पर कई सीनियर अफसर सस्पेंड भी हो गए थे. नतीजा ये हुआ कि जब अखिलेश की सरकार आई तो ट्रेनिंग जैसे महकमे में उन्हें भेज दिया गया. सुलखान पिछले दो सालों से डीजीपी ट्रेनिंग के पद पर तैनात थे.


ईमानदार और सख्त छवि के अफसर रहे हैं सुलखान


जेल विभाग के प्रमुख रहते हुए सुलखान ने बेहतर काम किया था. उनकी सख्त छवि का अंदाजा इसी बात से लगाता जा सकता है कि बीस साल पहले जब वो आगरा के एसपी सिटी थे तो क्राइम का ग्राफ काफी नीचे गिर गया था. जब मेरठ उनका ट्रांसफर किया गया तो कई चौराहों पर उन्हें विदाई भी दी गई थी. सुलखान के आदेश का पालन करने के लिए यूपी में 1 लाख 81 हजार पुलिस वाले हैं. यानि यूपी के 596 आदमियों पर एक पुलिस वाला. प्रदेश में 1 लाख 82 हजार पदों पर नियुक्तियां होनी हैं. ऐसे में सरकार के सामने उम्मीदें बड़ी हैं और वादे भी.