नई दिल्लीः चुनावी मौसम में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने CBI से 2 हफ्ते में बताने को कहा है कि उसने दोनों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में क्या कार्रवाई की है. मामले में 12 साल पहले कोर्ट ने जांच का आदेश दिया था.


क्या है मामला


2005 में विश्वनाथ चतुर्वेदी नाम के वकील ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, उनके बेटे अखिलेश यादव, बहु डिंपल यादव और दूसरे बेटे प्रतीक यादव के ऊपर आय से करोड़ों अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी.


1 मार्च 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने CBI को इस आरोप की प्राथमिक जांच का आदेश दिया. अक्टूबर 2007 में CBI ने कोर्ट को बताया कि शुरुआती जांच में उसे मुकदमा दर्ज करने लायक सबूत मिले हैं.


2012 में सुप्रीम कोर्ट ने मुलायम, अखिलेश और प्रतीक की पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दीं. सिर्फ डिंपल के खिलाफ मामला बंद किया गया.


आज क्या हुआ


याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट में आरोप लगाया गया कि सीबीआई ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल रखा है. उसे इस बात की जानकारी नहीं कि आज तक सीबीआई ने क्या कार्रवाई की है.


लिहाजा कोर्ट सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट मांगे या फिर निचली अदालत में रिपोर्ट देने को कहे. मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई कि 12 साल बाद भी जांच में हुई तरक्की की किसी को जानकारी नहीं है.


मुलायम के वकील का विरोध दरकिनार


कोर्ट में मुलायम सिंह की तरफ से मौजूद वकील सी ए सुंदरम ने सुनवाई टालने की मांग की. उन्होंने कहा, "ये चुनाव का समय है. कोर्ट का इस मामले में कोई आदेश देना मीडिया की हेडलाइन बनेगा. मामले को कम से कम 4 हफ्ते टाल दिया जाए."


इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "ऐसी मांग कर के आप ज़रूर हेडलाइन बना सकते हैं. कोर्ट को ऐसी बातों से कोई सरोकार नहीं. ये जानना ज़रूरी है कि इस मामले का क्या हुआ. CBI दो हफ्ते में इस मसले पर जवाब दे."


अब क्या होगा


CBI ने 26 अक्टूबर 2007 को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसके पास नियमित केस दर्ज करने लायक सबूत हैं. ऐसे में अगर उसने अब तक FIR दर्ज नहीं की है तो ये उसके लिए फ़ज़ीहत की वजह बन सकता है. अगर उसने FIR दर्ज की थी तो उसे बताना होगा कि अब तक निचली अदालत में जांच रिपोर्ट जमा क्यों नहीं की है. दोनों ही स्थितियों में चुनाव के मौसम में मुलायम परिवार की मुश्किल बढ़ना तय है.


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