नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह मामले की जांच की सुप्रीम कोर्ट निगरानी करेगा. कोर्ट ने आज CBI से चार हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा. अभी तक पटना हाई कोर्ट जांच की मॉनिटरिंग कर रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से सुनवाई कुछ दिन टालने को कहा है.


आरोपियों की पहुंच पर उठे सवाल


मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने CBI से जांच का ब्यौरा मांगा था. आज CBI की रिपोर्ट जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच के सामने रखी गयी. बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई कि CBI को मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर, चंद्रशेखर वर्मा और दूसरे लोगों के खिलाफ बयान हासिल करने में दिक्कत हो रही है. कोर्ट ने चंद्रशेखर वर्मा और मंजू वर्मा के पास अवैध हथियार मिलने के मामले को भी गंभीरता से लिया. बिहार पुलिस से इस पहलू की छानबीन के लिए कहा.


ब्रजेश के खिलाफ इनकम टैक्स की भी जांच होगी


कोर्ट के सामने रखी गई रिपोर्ट में ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ को मिले अनुदान के पैसों के गबन का भी अंदेशा जताया गया था. कोर्ट को बताया गया कि 10 साल में ब्रजेश के एनजीओ को 4.5 करोड़ रुपए का अनुदान मिला. इसके खर्च का सही ब्यौरा नहीं है. ब्रजेश के पास काफी संपत्ति है. उसने कई गाड़ियां भी खरीदी हैं. इस पर कोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग को ब्रजेश और उसके एनजीओ की संपत्तियों की जांच का भी आदेश दे दिया. कोर्ट ने कहा, "आरोपी की संपति की जांच हो. पता लगाया जाए कि अनुदान में मिले साढ़े 4 करोड़ रुपये कहां गए? उनका क्या इस्तेमाल हुआ?"


मीडिया रिपोर्टिंग से रोक हटी


पटना हाई कोर्ट ने मामले में मीडिया की रिपोर्टिंग पर पूरी तरह रोक लगा दी थी. आज सुप्रीम कोर्ट ने इस रोक को हटा लिया. हालांकि, कोर्ट ने मीडिया को आगाह किया कि वो ज़िम्मेदारी से काम करे. पीड़िताओं का न इंटरव्यू लिया जाए, न उनकी पहचान किसी तरह उजागर न की जाए.


कोर्ट ने माना कि मीडिया रिपोर्टिंग से कई बार अपराध के बड़े मामले उजागर होते हैं. ऐसे में मीडिया को किसी मामले को रिपोर्ट करने से रोक देना सही नहीं है. कोर्ट ने मीडिया से रेप के सभी मामलों में रिपोर्टिंग के दौरान विशेष सावधानी बरतने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा, "किसी भी हाल में नाबालिग बलात्कार पीड़िताओं की पहचान उजागर नहीं की जा सकती. चेहरा छुपा कर इंटरव्यू या परिवार के इंटरव्यू से भी पहचान पता चल सकती है. इसलिए ऐसा न किया जाए. कोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड और नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को इस तरह के मामलों की रिपोर्टिंग पर गाइडलाइंस बनाने में मदद करने के लिए कहा है.