नई दिल्ली: यूपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों से अब तक सरकारी बंगला खाली न कराने पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने बंगला खाली कराने का आदेश दिया था. एनजीओ लोक प्रहरी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा था कि 2 महीने में बंगले खाली कराए जाएं.


अवमानना याचिका पर जारी हुआ नोटिस


कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने को आधार बनाते हुए एनजीओ ने अवमानना याचिका दाखिल की. आज कोर्ट ने इसी याचिका पर यूपी एस्टेट डिपार्टमेंट से जवाब मांग लिया.


6 पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी बनाया पक्ष


अगस्त में जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगला खाली कराने का आदेश दिया गया था, वो हैं- मायावती, मुलायम, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, रामनरेश यादव और एनडी तिवारी. इन सब को भी अवमानना याचिका में पक्ष बनाया गया है. हालांकि, कोर्ट ने फ़िलहाल इन्हें नोटिस जारी नहीं किया है.


क्या थी मूल याचिका ?


जिस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल आदेश दिया था उसमें "उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज़, अलाउंस एंड अदर फैसिलिटीज एक्ट" का हवाला दिया गया था. इस एक्ट के सेक्शन 4 में कहा गया है कि मंत्री और मुख्यमंत्री, पद पर रहते हुए एक निशुल्क सरकारी आवास के हकदार हैं. पद छोड़ने के 15 दिन के भीतर उन्हें सरकारी मकान खाली करना होगा.


उत्तर प्रदेश में इस कानून के विरुद्ध मुख्यमंत्री खुद ही अपने आप को दूसरा बंगला आवंटित कर रहे थे. पद से हटने के बाद वो उस बंगले में रहना शुरू कर देते थे. यानी एक समय में न सिर्फ एक से ज़्यादा बंगले ले रहे थे, बल्कि बिना कानूनी प्रावधान के पद छोड़ने के बाद भी सरकारी बंगले में रह रहे थे.


2 मई को अगली सुनवाई


इस मामले पर अगली सुनवाई 2 मई को होगी. गौरतलब है कि यूपी की पिछली अखिलेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नया कानून पास कर दिया था. इसके तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला देने को मंजूरी दी गयी. कोर्ट में इस कानून की भी समीक्षा होनी है.