नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव के बीच बिहार में नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. वहीं नीतीश कुमार की सरकार के लिए राहत की खबर है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन देने के हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया.
करीब दस साल पहले बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने बिहार में नियोजित शिक्षकों के लिए समान काम समान वेतन की मांग पर एक याचिका पटना हाइकोर्ट में दाखिल किया था. साल 2017 में पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया था.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि समान काम के बदले समान वेतन दिया जाए. हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि राज्य सरकार शिक्षकों को बढ़ा हुआ वेतन साल 2010 से लागू करे.
पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी. जहां से राज्य सरकार को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि हाईकोर्ट के फैसले से सरकार पर 50 हज़ार करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नियोजति शिक्षकों और उनके परिवार पर सीधा असर पड़ सकता है. बिहार के नियोजित शिक्षकों का वेतन फिलहाल 22 से 25 हजार है. सुप्रीम कोर्ट अगर इन शिक्षकों के पक्ष में फैसला दे देता तो इनका वेतन करीब 35-40 हजार रूपये तक हो जाएगा.
बिहार में अभी दो चरण के चुनाव बाकी हैं. इन दो चरणों में 16 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले स्तारूढ़ गठबंधन (NDA) को वोटों का नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. राज्य में 24 सीटों पर पांच चरणों में चुनाव संपन्न हो चुके हैं. वोटों की गिनती 23 मई को होगी.
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