ताजमहल के लिए विजन डॉक्युमेंट में कुछ गोपनीय नहीं, इसे सार्वजनिक किया जाए: कोर्ट
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि ताज महल के संरक्षण को लेकर दिल्ली स्थित योजना एवं वास्तुकला विद्यालय द्वारा तैयार किये जा रहे दृष्टिपत्र को सार्वजनिक किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ भी गोपनीय नहीं है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि ताज महल के संरक्षण को लेकर दिल्ली स्थित योजना एवं वास्तुकला विद्यालय द्वारा तैयार किये जा रहे दृष्टिपत्र को सार्वजनिक किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ भी गोपनीय नहीं है. न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को योजना तथा वास्तुकला विद्यालय, दिल्ली ने बताया कि उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में ताजमहल की सुरक्षा एवं संरक्षा के लिए एक दृष्टिपत्र कुछ दिनों में तैयार हो जायेगा और शर्तो के अनुरूप इसे राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा.
पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा,"इसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए. यह एक दृष्टिपत्र है. इसमें कुछ भी गोपनीय नहीं है. आप इसे रिकार्ड पर भी लायें."
केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि ताजमहल के लिए धरोहर योजना के प्रथम प्रारूप को आठ सप्ताह के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा. यह प्रारूप यूनेस्को को सौंपा जाना है. नाडकर्णी ने कहा कि धरोहर योजना तैयार होने के बाद इसे दृष्टिपत्र दस्तावेज के साथ यूनेस्को भेजा जायेगा.
पीठ ने आगरा को धरोहर शहर घोषित करने के मुद्दे पर भी विचार किया. केन्द्र ने पीठ को सूचित किया कि उसने इस बारे में उप्र सरकार को पत्र लिखा है. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि इस मामले में उन्होंने अहमदाबाद स्थित सेन्टर फार इन्वायरमेन्टल प्लानिंग एंड टेक्नोलोजी से सहायता मांगी है जो इसका अध्ययन करेगा.
भाटी ने जब यह कहा कि इस अध्ययन को पूरा करने में करीब 24 महीने लगेंगे तो पीठ ने सवाल किया, ‘‘24 महीने क्यों?’’
इस मामले में न्यायालय अब फरवरी के पहले सप्ताह में आगे विचार करेगा. शीर्ष अदालत ने 25 सितंबर को अपने आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार के लिये 17 वीं सदी के इस प्राचीन स्मारक के संरक्षण के लिये दृष्टिपत्र पेश करने की अवधि 15 नवंबर तक बढ़ा दी थी. न्यायालय ने इसके आस-पास के एक हिस्से को ‘धरोहर’ घोषित करने पर भी विचार करने के लिये कहा था.
राज्य सरकार ने न्यायालय को सूचित किया था कि दृष्टिपत्र योजना तथा वास्तुकला विद्यालय तैयार कर रहा है और उसने इसे अंतिम रूप देने के लिये 15 नवंबर तक का समय देने का अनुरोध किया था. राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि पूरे शहर को धरोहर घोषित करना मुश्किल होगा लेकिन ताजमहल, फतेहपुर सीकरी और आगरा किला स्थलों को शामिल करते हुये कुछ हिस्से को इसके दायरे में लाया जा सकता है.
न्यायालय विश्व प्रसिद्ध ताजमहल को वायु प्रदूषण से संरक्षण के लिये पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था. मेहता का आरोप है कि ताजमहल के आस-पास का हरित क्षेत्र छोटा हो गया है और यमुना के मैदानी क्षेत्र के भीतर और बाहर अतिक्रमण हो रहा है.
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