नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हैरानी की बात है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री मंजू वर्मा को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है और किसी को मालूम नहीं वह कहां हैं? सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह इस बात से काफी हैरान है कि बिहार पुलिस राज्य की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा का पता लगाकर उन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है. मंजू वर्मा ने मुजफ्फरपुर आश्रयगृह कांड के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उनके यहां से कथित रूप से गैरकानूनी हथियार बरामद होने से संबंधित मामले में उनकी तलाश है.


जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने अब राज्य के पुलिस महानिदेशक को यह बताने के लिये तलब किया है कि इस मामले में राज्य पुलिस अभी तक मंजू वर्मा का पता लगाकर उन्हें गिरफ्तार करने में क्यों विफल रही है.


मुजफ्फरपुर के आश्रयगृह में लड़कियों के यौन शोषण और बलात्कार के मामले में गिरफ्तार बृजेश ठाकुर की उनके पति चंद्रशेखर वर्मा के साथ जनवरी से जून के दौरान कई बार बातचीत होने का खुलासा हुआ था. इसके बाद मंजू वर्मा ने बिहार सरकार के सामाजिक कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.


इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने पहला सवाल किया, ‘‘क्या इस महिला (वर्मा) को गिरफ्तार कर लिया गया है?’’ बिहार सरकार के वकील ने कहा कि वर्मा को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है क्योंकि पुलिस उन्हें खोज निकालने में कामयाब नहीं हुयी है. पीठ ने कहा, ‘‘यह बहुत दिचलस्प है. एक पूर्व कैबिनेट मंत्री की खोज खबर नहीं हो पा रही है. ऐसा कैसे हो सकता है कि एक कैबिनेट मंत्री (पूर्व) गायब है और किसी को उसके बारे में पता ही नहीं है. क्या आपको इसकी गंभीरता का अहसास है? आपको हमें बताना होगा कि कैसे एक पूर्व कैबिनेट मंत्री का पता नहीं चल पा रहा है.’’


पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा, आप पुलिस महानिदेशक को बुलाईये. बहुत हो गया. पीठ ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 27 नवंबर के लिये स्थगित कर दी और कहा, ‘‘हम भौचक्के हैं कि एक महीने से भी अधिक समय से एक पूर्व कैबिनेट मंत्री की कोई खबर नहीं है.’’ पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि इस दौरान वर्मा की गिरफ्तारी नहीं हुयी तो पुलिस महानिदेशक को उसके समक्ष पेश होना पड़ेगा.


याचिकाकर्ता निवेदिता झा की वकील फौजिया शकील ने बिहार में 14 अन्य आश्रय गृहों की स्थिति का मामला भी उठाया जिनके बारे में टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज ने राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया था. शकील का तर्क था कि इन मामलों में पहुंच वाले लोग शामिल हैं और इन 14 आश्रय गृहों में बड़े पैमाने पर लड़के और लड़कियों का शारीरिक और यौन शोषण जारी है. लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है.


पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को 27 नवंबर को न्यायालय में उपस्थित रहने का आदेश देते हुये कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि बिहार के आश्रय गृहों में बड़े पैमाने पर कुप्रबंधन है.’’ पीठ ने बिहार के एक आश्रय गृह से पांच लड़कियों के भाग जाने के बारे में समाचार पत्र में प्रकाशित खबर का भी जिक्र किया.


इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहीं अधिवक्ता अपर्णा भट ने कहा कि बिहार में बाल कल्याण समिति ठीक से काम नहीं कर रही है. इस पर पीठ ने टिप्पणी की, बाल कल्याण समिति? यहां तक कि बिहार में पुलिस भी काम नहीं कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 31 अक्टूबर को भी अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा था कि पटना हाई कोर्ट द्वारा नौ अक्टूबर को जमानत याचिका खारिज होने के बाद भी पुलिस ने अभी तक वर्मा को गिरफ्तार नहीं किया है. इससे पहले, वर्मा के पति ने हथियार बरामद होने से संबंधित मामले में बेगूसराय की अदालत में समर्पण कर दिया था.